मैनपुरी। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। अखिलेश यादव पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। खास बात यह है कि 
गोरखपुर से लड़ने जा रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी पहला विधानसभा चुनाव है। इस तरह सीएम पद के दो दावेदार पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। अखिलेश यादव इससे पहले विधान परिषद सदस्य रह चुके हैं और वर्तमान में आजमगढ़ से सांसद हैं। सपा 1993 से मैनपुरी की करहल सीट लगातार जीत रही है। बस बीच में एक बार 2002 में भाजपा के सोबरन सिंह यादव ने इस सीट पर कब्जा कर लिया था। यही सोबरन सिंह बाद में सपा में आ गए और वर्तमान में करहल से ही सपा के विधायक हैं। असल में इस सीट पर प्रारंभ से ही समाजवादियों का कब्जा रहा है। केवल पहला चुनाव यहां से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने जीता था। वैसे अखिलेश यादव के सामने यादव बहुल आजमगढ़ की गोपालपुर सीट विकल्प के तौर पर है और उनके संभल की गुन्नौर की सीट से भी चुनाव लड़ने की चर्चा थी। अब उन्होंने पूर्वांचल के बजाए सैफई परिवार के लिए सियासी जमीन तैयार करने वाले इस सीट से चुनाव लड़ना तय किया है। यादव बेल्ट में करहल सीट सपा मुखिया के लिए काफी सुरक्षित मानी जा रही है। इसकी वजह है यहां पिछड़े वर्ग में 40 प्रतिशत तो यादव वोट हैं जबकि ब्राह्मणों, ठाकुर, दलित, शाक्य की तादाद भी अच्छी है। यहां मुस्लिम वोट अपेक्षाकृत कम हैं। यहां सबसे ज्यादा बाबू राम यादव पांच बार अलग-अलग दलों से जीते थे। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव यहां से सांसद हैं। बताया जा रहा है कि सपा ने आंतरिक सर्वे में गोपालपुर व गुन्नौर के मुकाबले करहल सीट को ज्यादा अनुकूल पाया। गुरुवार को मैनपुरी पार्टी संगठन ने अखिलेश यादव से करहल से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया जिसे अखिलेश यादव ने मान लिया। पार्टी ने इस बाबत औचारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि सपा का कहना है कि भावनात्मक कारणों से अखिलेश ने यह सीट चुनी है क्योंकि यह समाजवादियों का मजबूत किला है और उनके पिता मुलायम सिंह यादव का पुराना गढ़ है। सैफई यहां कुछ ही दूरी पर है, जो मुलायम सिंह यादव का पैतृक गांव है।