बहुप्रतीक्षित ई-कॉमर्स पॉलिसी की घोषणा फरवरी में कभी भी की जा सकती है। गत मंगलवार को ई-कॉमर्स पॉलिसी को लेकर उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की तरफ से आखिरी रायशुमारी की गई, जिसमें एसएमई एसोसिएशन से लेकर खुदरा व्यापारियों के प्रतिनिधियों के साथ अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों के नुमाइंदे भी शामिल हुए थे। डीपीआईआईटी सूत्रों के मुताबिक, सरकार अगले महीने ई-कॉमर्स नीति का अंतिम मसौदा जारी करेगी और उसे आधार मानते हुए ई-कॉमर्स नीति लागू होगी। सरकार की कोशिश होगी कि फरवरी के दूसरे सप्ताह तक इस मसौदे को जारी कर दिया जाए ताकि उत्तर प्रदेश के चुनाव में छोटे व्यापारियों को उन मसौदे का हवाला देकर उन्हें लुभाया जा सके।

प्रस्तावित ई-कॉमर्स पॉलिसी में विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की तरफ से खास मौके पर भारी छूट के साथ लगाए जाने वाली सेल पर रोक लग सकती है या नियम को ऐसा बनाया जा सकता है ताकि ऑफलाइन काम करने वाले छोटे कारोबारियों को नुकसान नहीं उठाना पड़ेबड़ी विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की तरफ से चीन से सामान मंगा कर उसे ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर बेचने के चलन को रोकने के लिए सख्त नियम लाए जा सकते हैं। अभी विदेशी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर एसएमई की जिन वस्तुओं की बिक्री अधिक होने लगती है, उन वस्तुओं को ये विदेशी कंपनियां चीन से कम लागत में बनवाने लगती है और फिर घरेलू एमएसएमई उनका मुकाबला नहीं कर पाता है। इससे घरेलू उत्पादन प्रभावित होता है।

इस बात की एमएसएमई की तरफ से डीपीआईआईटी को जानकारी दी जा चुकी है। डीपीआईआईटी पहले से ही वस्तु के मूल उत्पादक देश का जिक्र सामान पर करने के लिए कह चुका है। लेकिन, अब इनकी सख्ती के लिए ई-कॉमर्स नीति के तहत नियामक की स्थापना की जा सकती है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, छोटे किराना और ऑफलाइन कारोबारी लगातार विदेशी ई-कॉमर्स के वर्चस्व का विरोध कर रहे हैं और गत मंगलवार की बैठक में किराना स्टोर और ऑफलाइन छोटे व्यापारियों के संगठन ने फिर से इसका विरोध किया। लेकिन, समय की मांग व छोटे कारोबारियों के हित को देखते हुए ई-कॉमर्स नीति में उनके पक्ष में कई नीतियां आ सकती है।

अभी देश में सिर्फ 4.3 फीसद छोटे किराना स्टोर ऑनलाइन कारोबार करते हैं। उन सबको ऑनलाइन सुविधा देना सरकार का ध्येय है। कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने आगामी एक फरवरी से ई-कॉमर्स नीति को लेकर देशव्यापी सर्वे अभियान चलाने का फैसला किया है। कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि एक लाख से अधिक छोटे कारोबारियों को इस सर्वे संवाद में शामिल किया जाएगा ताकि सरकार को पता लग सके कि ऑफलाइन कारोबारी कहां तक ई-कॉमर्स के पक्ष में हैं।