नई दिल्ली । छह साल पहले बीजेपी में एंट्री लेने वाले माणिक साहा अब त्रिपुरा के नए सीएम हैं। बिप्लब कुमार देब की जगह लेने वाले साहा के कंधों पर अब बड़ी जिम्मेदारी है। विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले त्रिपुरा के मुखिया बने साहा राज्यसभा सांसद के अलावा त्रिपुरा में प्रदेश अध्यक्ष का पद भी हैं। चलिए जानते हैं कैसे 2016 में बीजेपी से जुड़ने वाले साहा ने महज इतने कम अंतराल में ही पार्टी हाईकमान का दिल कैसे जीत लिया और रेस शामिल तमाम दिग्गजों को पछाड़कर सीएम पद का सफर तय कर दिया त्रिपुरा भाजपा अध्यक्ष माणिक साहा शनिवार को प्रदेश बीजेपी विधायक दल के नेता के रूप में चुने गए। साहा ने सीएम बिप्लब देब की जगह ली है। बिप्लब देव ने आज ही चार साल की सेवा के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। राज्यसभा सांसद साहा विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले सीएम का पद संभालने जा रहे हैं। संगठनात्मक फेरबदल में उन्हें राज्य भाजपा प्रमुख के रूप में बनाए रखने के दो महीने बाद बड़ी पदोन्नति हुई है। पेशे से एक दंत चिकित्सक, साहा ने पटना के गवर्नमेंट डेंटल कॉलेज और किंग जॉर्जेस मेडिकल कॉलेज, लखनऊ से डेंटल सर्जरी में स्नातक और मास्टर डिग्री प्राप्त की। उन्होंने राज्य सभा की वेबसाइट के अनुसार त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज और अगरतला में डॉ बी.आर.ए.एम टीचिंग हॉस्पिटल में प्रोफेसर के रूप में दंत शल्य चिकित्सा भी पढ़ाया। साहा 2016 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। 2020 में, उन्हें त्रिपुरा भाजपा इकाई के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। माणिक साहा त्रिपुरा क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। इस साल अप्रैल में वे राज्य की अकेली सीट के लिए राज्यसभा के लिए चुने गए थे। सभी भाजपा और इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के विधायकों ने साहा के पक्ष में वोट डाला और उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार भानु लाल साहा को दौड़ में बहुत पीछे छोड़ दिया। बीजेपी पार्टी के सूत्रों का कहना है कि माणिक साहा को त्रिपुरा की कमान सौंपने के पीछे बड़ा कारण आगामी विधानसभा चुनाव है। साहा की त्रिपुरा में बड़ी पकड़ मानी जाती है। क्योंकि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने टीएमसी बड़ी चुनौती के रूप में उभर सकती है। बीजेपी सूत्रों का मानना है कि माणिक साहा के नेतृत्व में चुनाव लड़ना पार्टी के हित में होगा।