भोपाल  । मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने भोपाल के मानस भवन में आयोजित शिक्षक व कर्मचारी कांग्रेस के अधिवेशन में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव 2023 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो पुरानी पेंशन बहाल की जाएगी। कमल नाथ कहा कि पुरानी पेंशन को कांग्रेस की दूसरी सरकारों ने भी लागू किया है, ऐसे में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी तो पुरानी पेंशन लागू की जाएगी।
कमल नाथ ने यह भी कहा कि 2023 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनने पर शिक्षकों की सभी समस्याओं को प्रमुखता से निराकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनते ही सबसे पहला कार्य कर्मचारियों के हित में कार्य किया जाएगा। शिक्षकों पर कमलनाथ ने कहा कि नर्सरी है। ये बच्चों को पौधों की तरह सिंचते हैं। इनके बारे में पहले सोचना होगा। इनके हाथ में देश का भविष्य है। वहीं अरूण यादव ने कहा कि बेरोजगारी और महंगाई पर भारतीय जनता पार्टी बात नहीं करती है। भाजपा सरकार मुख्य मुद्दों पर ध्यान भटकाने का काम करती हैं। शिवराज सरकार ने 20 हजार से ज्यादा घोषणाएं की हैं, वे लगातार झूठ बोल रहे हैं। एक भी घोषणाएं पूरी नहीं की जा रही है। इस अधिवेशन में कमल नाथ के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण यादव, पूर्व मंत्री व विधायक पीसी शर्मा, तरुण भनोत सहित अन्य कांग्रेस के नेता शामिल हुए। वहीं शिक्षक कांग्रेस के संगठन प्रभारी रामनरेश त्रिपाठी सहित अन्य सदस्यों ने कार्यक्रम में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष सक्सेना ने बताया कि अधिवेशन में पुरानी पेंशन की बहाली, क्रमोन्नति, पदोन्नति, पदनाम परिवर्तन, ग्रेड पे, तबादला नीति सहित शिक्षकों की कई लंबित मांगों को लेकर बातचीत हुई। सभी पदाधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद अगली रणनीति तैयार की जा रही है। मौजूदा राज्य सरकार शिक्षकों की मांगों को लेकर गंभीर नहीं है। अधिवेशन के दौरान राज्य सरकार को मांगों के निपटारे के लिए अल्टीमेटम भी दिया जाएगा। इसके बाद चरणबद्ध आंदोलन के बारे में भी बातचीत की गई।
2005 में नई पेंशन योजना लागू हुई
प्रदेश में अप्रैल 2005 में पुरानी पेंशन योजना को बंद करके नई पेंशन योजना लागू की गई थी। प्रदेश में 1 जनवरी 2005 के बाद 3.35 लाख से ज्यादा कर्मचारी सरकारी सेवा में शामिल हुए हैं। इनमें से 2.87 लाख टीचर और बाकी 48 हजार अन्य सेवाओं के कर्मचारी हैं।
यह है नई और पुरानी पेंशन योजना में अंतर
पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती थी। इसके लिए कर्मचारी के वेतन से पैसा नहीं कटता था। कर्मचारी का वेतन भुगतान सरकार की ट्रेजरी के जरिए होता था। वहीं, नई पेंशन योजना में बेसिक सैलरी का 10 फीसदी हिस्सा काटती है और 14 प्रतिशत राशि सरकार मिलाती है। नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है और भुगतान बाजार पर निर्भर रहता है।
अभी ये है स्थिति
- 1 जनवरी 2005 के बाद प्रदेश में 3.35 लाख से ज्यादा कर्मचारी सेवा में आ चुके हैं, जो पेंशन नियम-1972 के दायरे में नहीं आते। 2.87 लाख अध्यापक संवर्ग से हैं, जो 2008 में टीचर बन गए। बचे हुए 48 हजार पर नेशनल पेंशन सिस्टम लागू है।
- 1 जनवरी 2005 से सरकारी सर्विस में आए कर्मचारियों का कहना है कि उनके लिए अंशदायी पेंशन (वर्तमान में लागू) में कर्मचारी के मूल वेतन से 10 प्रतिशत राशि काटकर पेंशन खाते में जमा कराई जाती है। 14 प्रतिशत राशि सरकार मिलाती है। रिटायर होने पर 50 प्रतिशत राशि एकमुश्त दे दी जाती है। शेष 50 प्रतिशत से पेंशन बनती है। यह राशि अधिकतम 7 हजार रुपए से ज्यादा नहीं होती। इसकी वजह से कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग कर रहे हैं।