नई दिल्ली। बढ़ते वायु प्रदूषण पर सरकार ने सख्त कदम उठाने के आदेश दिए हैं। जारी आदेश में उद्योगों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कोयले व अन्य गैर मंजूर ईंधन के उपयोग पर एक सख्त प्रतिबंध लागू हो गया है। इस के बारे में बताते हुए अधिकारियों ने कहा कि नियम का पालन न करने वाली फैक्ट्रियों को बिना किसी चेतावनी के बंद कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कहा कि हालांकि थर्मल पावर प्लांटों में कम सल्फर वाले कोयले के इस्तेमाल की अनुमति है। लागू किए गए प्रतिबंध पिछले साल जुलाई में जारी व्यापक नीति का हिस्सा है। 
 अधिकारी बिना किसी कारण बताओ नोटिस के कोयले सहित गैर-अनुमोदित ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योगों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को बंद कर देंगे। आयोग  के सीनियर अधिकारी ने बताया कि नियम का पालन न करने वाली इकाइयों पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा। ओयोग के पैनल ने 6 महीने पहले प्रतिबंध की घोषणा की थी जिससे सभी उद्योगों को स्वच्छ ईंधन पर जाने के लिए पर्याप्त समय मिल गया था। 
  जारी आदेश में कहा गया है कि जलाऊ लकड़ी और बायोमास ब्रिकेट का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों और दाह संस्कार के लिए किया जा सकता है। लकड़ी या बांस के चारकोल का उपयोग होटल रेस्टूरेंट बैंक्वेट हॉल और खुले भोजनालयों या ढाबों के तंदूर और ग्रिल के लिए उपयोग करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
  आयेग ने पहले जारी किए एक आदेश में कपड़े की इस्त्री के लिए लकड़ी के चारकोल के इस्तेमाल को अनुमति दी थी लेकिन अब नए आदेश के अनुसार  जनवरी 2023 से पूरे दिल्ली-एनसीआर में औद्योगिक घरेलू और अन्य विविध अनुप्रयोगों में कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है।
  दिल्ली में फैक्ट्रियों में सालाना लगभग 1.7 मिलियन टन कोयले का उपयोग किया जाता है। अकेले 6 प्रमुख औद्योगिक जिलों में लगभग 1.4 मिलियन टन कोयले की खपत होती है। वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्र के वायु गुणवत्ता पैनल ने यूपी राजस्थान और हरियाणा के एमसीआर क्षेत्रों को भी निर्देश दिया है कि वे 1 जनवरी से केवल सीएनजी और इलेक्ट्रिक ऑटो वाहनों को पंजीकृत करें।
  दिल्ली में 1998 से डीजल ऑटो रिक्शा के वाहनों को सीएनजी में बदलने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया गया था। दिल्ली में फिलहाल डीजल से चलने वाले ऑटो का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है। दिल्ली परिवहन विभाग ने पिछले साल अक्टूबर में 2461 ई-ऑटो के पंजीकरण के लिए एक योजना शुरू की थी। राजधानी में पीएम 2.5 पॉल्यूटेंट्स के उत्सर्जन में वाहनों की हिस्सेदारी 40 फीसदी है।