नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए डीजीपी कुंडू का तबादला रोक ‎दिया है। बता दें ‎कि ‎हाई कोर्ट ने उस आदेश में हिमाचल सरकार को पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू को उनके पद से हटाने के लिए कहा गया था। सुनवाई के दौरान सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की, क्या उच्च न्यायालय के पास उन्हें (डीजीपी कुंडू) किसी अन्य पद पर स्थानांतरित करने का अधिकार है? यह एक एकल पद है। पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे, ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश क्षेत्राधिकार की स्पष्ट त्रुटि से ग्रस्त है क्योंकि कुंडू को सुनवाई का अवसर दिए बिना ऐसा निर्देश पारित नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, इसने 1989-बैच के आईपीएस अधिकारी को एक आईजी-रैंक अधिकारी वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा मामले में की जाने वाली जांच से खुद को अलग करने का आदेश दिया। हालां‎कि अधिवक्ता गगन गुप्ता के माध्यम से कुंडू द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील की सद्भावना और न्याय के हित में की गई दलीलों और बयानों पर न तो विचार किया और न ही उन्हें दर्ज किया।
दायर या‎चिका में कहा गया है कि कुंडू ने यह सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की कि उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के कारण उनका 35 साल का करियर शून्य न हो जाए, ऐसे समय में जब उनकी सेवा के तीन महीने से कुछ अधिक समय बाकी है। उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कुंडू और कांगड़ा की पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें अपने पहले के आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी, जिसमें गृह सचिव को दोनों आईपीएस अधिकारियों को किसी अन्य पद पर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था, ताकि उनके पास एक व्यवसायी को कथित तौर पर धमकाने के मामले में जांच को प्रभावित करने का कोई अवसर न हो।
इससे पहले हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की पीठ ने 26 दिसंबर को एक आदेश में पालमपुर स्थित व्यवसायी की शिकायत के मद्देनजर राज्य सरकार को राज्य पुलिस प्रमुख और कांगड़ा एसपी को स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था, जिन्होंने जान को खतरा होने की आशंका जताई थी। शिकायतकर्ता निशांत शर्मा ने अपने साझेदारों से उन्हें, उनके परिवार और संपत्ति को खतरा होने का आरोप भी लगाया था और 25 अगस्त को गुरुग्राम में उन पर एक क्रूर हमले की एक घटना का हवाला भी ‎दिया गया था।