सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की मांगों के मुद्दे पर दायर एक याचिका को वापस लेने की इजाजत दे दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे जटिल मुद्दों पर वकील सिर्फ पब्लिसिटी के लिए अखबारों की रिपोर्ट के आधार पर याचिकाएं दायर न करें। याचिका में मांग की गई थी कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना किसानों का अधिकार है और उनके इस अधिकार का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में मांग की गई थी कि सरकार किसानों के साथ उचित व्यवहार करे। किसान दिल्ली जाकर प्रदर्शन करना चाहते हैं तो उन्हें रोका न जाए क्योंकि ये उनका अधिकार है। याचिका में पुलिस प्रशासन द्वारा किसानों को रोकने के लिए बनाए गए अवरोधों को भी हटाने की मांग की गई थी। प्रदर्शनकारी किसानों पर पुलिस बल प्रयोग की जांच हो और पुलिस कार्रवाई में घायल हुए या मारे गए लोगों के परिजनों को उचित मुआवजा दिया जाए। 

इस याचिका पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की तो याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की गुहार लगाई। जिसकी कोर्ट ने इजाजत दे दी। कोर्ट ने कहा कि ये गंभीर मामला है और सिर्फ मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर याचिका दाखिल नहीं की जानी चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने याचिकाकर्ता एगनोस्तोस थियोस के खेद जताने के बाद याचिका वापस लेने की मंजूरी दे दी।जस्टिस कांत ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि 'ये बहुत गंभीर विषय है और सिर्फ अखबारों की रिपोर्ट्स के आधार पर प्रचार पाने के उद्देश्य से याचिकाएं दायर नहीं की जानी चाहिए। जो लोग इन मुद्दों को लेकर गंभीर हैं और इनके प्रति समर्पित हैं, उन्हें ही याचिकाएं दायर करनी चाहिए।