एक चौथाई सदी गुजरी और कितना इंतजार, यूएन में भारत की खरी-खरी
न्यूयॉर्क। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने न्यूयॉर्क में 78वें सेशन की अनौपचारिक बैठक में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने अपने संबोधन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आवश्यक सुधारों की तत्काल जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि एक चौथाई सदी गुजर चुकी है और कितना इंतजार करना होगा।
न्यूयॉर्क में 78वें सेशन की अनौपचारिक बैठक में हिस्सा लेते हुए रुचिरा कंबोज ने कहा कि इन सुधारों पर एक दशक से ज्यादा समय से चर्चा ही चल रही है, लेकिन परिणाम नहीं निकला है। कंबोज ने अपने संबोधन में कहा कि करीब एक चौथाई सदी गुजर चुकी है, दुनिया और हमारी आने वाली पीढ़ियां अब और इंतजार नहीं कर सकतीं। उन्होंने सवाल किया कि उन्हें और कितना इंतज़ार करना होगा?
इसी के साथ कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की शुरुआत में विलंब होने पर सवाल उठाए और कहा कि वर्ष 2000 में मिलेनियम शिखर सम्मेलन में वर्ल्ड लीडर्स ने सिक्योरिटी काउंसिल के सभी पहलुओं में व्यापक सुधार लाने के प्रयासों को तेज करने का संकल्प लिया था। इसके साथ ही उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि आगामी वर्ष में संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ होने वाली है और सितंबर में एक महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन होने जा रहा है, ऐसे मौकों पर इन जरूरी सुधारों को पेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अफ्रीका सहित युवा और भावी पीढ़ियों की आवाज पर गौर करते हुए सुधार को आगे बढ़ाना चाहिए, जहां ऐतिहासिक अन्याय में सुधार करने की मांग और भी मजबूत हो रही है।
कंबोज ने अधिक समावेशी दृष्टिकोण अपनाने का प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए, सुझाव दिया है कि यूएनएसी के विस्तार को केवल गैर-स्थायी सदस्यों तक सीमित करने से इसकी संरचना में असमानताएं बढ़ने का खतरा हो जाएगा। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि नए स्थायी सदस्यों को समीक्षा के दौरान निर्णय हो जाने तक वीटो का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
भारत के सुझावों का परिषद के स्थाई सदस्य यूनाइटेड किंगडम ने ट्वीट करते हुए समर्थन किया है। ब्रिटेन ने सोशल प्लेटफार्म में पोस्ट करते हुए कहा है कि सुरक्षा परिषद को वर्तमान दुनिया का अधिक प्रतिनिधि होना चाहिए। हम इसके विस्तार का समर्थन करते हैं और एक अधिक विविध, प्रभावी परिषद देखना चाहते हैं। ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान यानी जी4 देशों के पास स्थायी सीट्स होनी चाहिए और उनके लिए स्थायी प्रतिनिधित्व होना चाहिए।