पूर्व मंत्री और वरिष्ठ बीजू जनता दल नेता रणेन्द्र प्रताप स्वैन ने पार्टी सुप्रीमो नवीन पटनायक को वक्फ संशोधन विधेयक के समर्थन में कुछ पार्टी सांसदों की ओर से मतदान किए जाने के विवाद पर पत्र लिखा है. साथ ही साथ चिंता जताई है कि इससे उनकी पार्टी के धर्मनिरपेक्षता के रुख पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उन्होंने पार्टी के मुखिया को इस मसले पर कार्यकर्ताओं को सीधा संदेश देने की अपील की है. दरअसल, संसद में वक्फ बिल पर वोटिंग के समय बीजेडी के सांसदों ने इसके पक्ष में वोटिंग कर दी.

रणेन्द्र प्रताप स्वैन ने पत्र लिखते हुए कहा, ‘वक्फ बिल विवाद को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में हाल ही में जो असंतोष देखने को मिला है, उसने धर्मनिरपेक्षता पर हमारे रुख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस संदर्भ में मैं ईमानदारी से अपील करता हूं कि पार्टी को अपने मूल मुद्दों के रूप में सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता दोनों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करनी चाहिए और आगे बढ़ने के लिए कार्यकर्ताओं को पूरे तौर पर विश्वास में लेना चाहिए.’

‘वैचारिक विरासत को दोबारा हासिल करने का समय’
उन्होंने कहा, ‘यह समय अपनी वैचारिक विरासत को दोबारा हासिल करने और सामाजिक न्याय पर आधारित पार्टी के रूप में अपनी पहचान को फिर से स्थापित करने का है, जिसके स्तंभ धर्मनिरपेक्षता और क्षेत्रीय गरिमा हैं. ओडिशा के लोग सैद्धांतिक नेतृत्व के लिए हमारी ओर देख रहे हैं. मुझे विश्वास है कि आपके (नवीन पटनायक) मार्गदर्शन में बीजू जनता दल इस अवसर पर उभरकर सामने आएगी और आगे बढ़ने का एक साहसिक मार्ग तैयार करेगी.’

‘सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाना है’
स्वैन ने कहा, ‘हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि बीजू बाबू की राजनीति सामाजिक न्याय पर आधारित थी, जिसमें धर्मनिरपेक्षता और क्षेत्रीय गौरव इसके स्वाभाविक विस्तार थे. उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी, जिसमें हाशिए पर पड़े लोगों को सम्मान, प्रतिनिधित्व और अवसर के साथ सशक्त बनाया जाए. आपके नेतृत्व में भी, इन मूल्यों को अभिव्यक्ति मिली है. हालांकि, आज की स्थिति सभी क्षेत्रों में हमारी सामाजिक न्याय प्रतिबद्धता को गहरा करने के लिए स्पष्टता, साहस और ठोस कार्रवाई की मांग करती है.’ उन्होंने कहा, ‘यदि हम सामाजिक न्याय के विचार को अपनी पॉलिटिकल नैरेटिव के मूल के रूप में आगे बढ़ाते हैं, तो यह जनता के साथ बेहतर होगा.

बीजेडी ने बदल लिया था स्टैंड
वक्फ बिल पर बीजेडी ने पहले विरोध करने का फैसला लिया था, लेकिन बाद में अपने स्टैंड पर बदलाव करते हुए पार्टी सांसदों से कहा था कि वे अपने भीतर की आवाज सुनकर वोटिंग करने का फैसला करें. साथ ही साथ बीजेडी ने इसको लेकर व्हिप तक जारी नहीं की थी.