बकरे को उल्टा बांधकर कोड़े खाने की अनोखी परंपरा
रायसेन जिला मुख्यालय से लगभग 7 किमी दूर भोपाल रोड़ स्थित बनगवां में कुर्मी गौर समाज की होली पर सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हैं। होली के दूसरे दिन कुर्मी समाज के लोग बच्चों के सामूहिक मुंडन संस्कार में स्कूल चौक में परिवार सहित रिश्ते नातेदार एकत्रित होते हैं।वहीं गैर पर बकरे को उल्टा बांधकर समाज में एकता समरसता कायम रहे इसीलिए गैर पर गोलाकार घूम घूम कर खुद को कौड़े मारकर परंपरा रीति रिवाजों का निर्वहन करते हैं।बनगवां में होलिका दहन के दूसरे दिन मेला भी लगता है।
होलिका दहन से लेकर रंग पंचमी पर्व तक रायसेन जिले में कई प्रकार की परंपरा चली आ रही हैं। इन्हें गांव के लोग आज भी बखूबी निभाते आ रहे हैं। रायसेन के बनगवां गांव की समृद्धि और समरसता के लिए ग्रामीण मेघनाथ बाबा को नारियल मिठाई के साथ पान बताशे अर्पित कर विधि विधान से पूजा करतेहै। 25 फीट ऊंचे मचान पर गोलाकार गैर बांधकर एक बकरे को घुमते हैं। लोगों कोड़े भी मारे जाते हैं, लेकिन कोड़े की चोट का अहसास लोगों को नहीं होता है।
रायसेन शहर से करीब 7 किमी दूर वनगवां गाँव बसा हुआ है। इस गांव में होली के दूसरे दिन पड़वा पर शाम को हलारिया गौर वगौत्र समाज के लोग अपने कुल देवता मेघनाथ बाबा की पूजा करते है। समाजसेवी मुरलीमनोहर गौर सीएल गौर ने बताया कि इस पूजा के दौरान यहाँ पर 25 फीट ऊंचे 2 खंभों पर मचान बनाते हैं ।जिस पर एक बकरे को बांधकर घूमते हैं फिर पूजा संपन्न होने के बाद जिसका बकरा होता है उसे वापस कर दिया जाता है ।बकरे को घुमाते समय लोगों को कोड़े मारे जाते हैं।लेकिन कुलदेवता मेघनाथ बाबा के आशीर्वाद से लोगों को कोड़ों की मार का अहसास तक नहीं होता ।गांव मुन्नीलाल गौर ,रघुवीर गौर गंगाराम गौर ने बताया कि जब से यह गांव बसा है, तब से यह परंपरा चली आ रही है। होलिका दहन के दूसरे दिन हलारिया गौर कुर्मी गौत्र समाज के लोग कुलदेवता मेघनाथ बाबा की पूजा के लिए एकत्रित होते हैं। इस दौरान भी इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है।, ताकि गांव में समृद्धि और समरसता का माहौल हमेशा बना रहे।