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विश्व गीता प्रतिष्ठान जिला रायसेन द्वारा प्रत्येक रविवार की भांति घर-घर गीता का प्रचार प्रसार करने का संकल्प लिया है इस रविवार को सभी स्वाध्याय मंडल के सदस्यों ने भाई दूज पावन पर्व की कथा पूजन कर बहन से भाई को तिलक लगवाया बाद जिला संयोजक पंडित दामोदर तिवारी ने भाई दूज पर्व की महत्वता बताते हुए कहा कि इस दिन यमराज भगवान अपनी बहन यमुना महारानी से तिलक करवाने के लिए मथुरा यमुना जी के घाट पर आते हैं जहां यमराज जी द्वारा अपनी बहन को वचन दिया गया है की जो भाई-बहन भाई दूज के दिन यमुना महारानी मैं एक दूसरे का हाथ पकड़कर स्नान करेंगे या डुबकी लगाएंगे उनको यम यातनाओं से मुक्त कर दिया जाएगा और श्री हरि की शरण में बैकुंठ में स्थान प्राप्त होगा।
बाद सभी स्वाध्याय भक्तों द्वारा श्रीमद्भागवत गीता का पाठ विधि विधान से किया गया जिसमें पत्रक अनुसार सर्वप्रथम गीता ज्ञान प्रसार गीत घर-घर गीता का प्रचार हो सदाचार और सद्विचार हो की भावना से प्रारंभ कर पंडित श्री मनीष बबेले जी द्वारा दीप प्रज्वलन बाद गणेश, गौरी बंदना की गई सरस्वती वंदना मैं पंडित श्री राकेश दुबे जी द्वारा सभी को वंदना कराई गई बात गुरु वंदना की गई। गुरु का महत्व बताते हुए श्री दिनेश मीणा जी ने कहा संत की संगत मात्र से ही ज्ञान के साथ घर परिवार में शुभ मंगल कार्य आरंभ हो जाते हैं एवं भक्तों हर विधि से वृक्ष की भांति फल फूलने लगता है।
अमृत वचन श्री शिवकुमार बघेल जी द्वारा कहा जिसमे उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण चंद्र जी कहते हैं जब-जब धर्म की हानि होगी एवं ब्राह्मण साधु-संतों पर अत्याचार होंगे धर्म का विनाश होगा तब वह स्वयं अवतार लेंगे दुष्टों का नाश करेंगे एवं धर्म की पुनः स्थापना करेंगे इसलिए अधर्म को छोड़कर धर्म के मार्ग को अपनाएं गीता ज्ञान लें अपने बच्चों में परिवार में संस्कृति संस्कार का उदय करें।
पंडित दामोदर तिवारी द्वारा प्रेरक प्रसंग में भक्ति श्रद्धा, समर्पण, योग अभ्यास से भक्ति का मार्ग बताया ।
प्रति रविवार की भांति श्रीमद्भागवत गीता जी के त्रयोदश अध्याय के प्रारंभिक 11 श्लोकों का संस्कृत हिंदी टीका वाचन सभी स्वाध्याय भक्तों ने क्रमशः एक एक श्लोक पढ़कर उनके अर्थ पर चिंतन मनन किया।
जिसमें श्री कृष्ण चंद्र भगवान ने अर्जुन को क्षेत्र  क्षेत्रज्ञ विज्ञान योग का ज्ञान देते हुए कहा कि यह शरीर ही क्षेत्र है जिसमें समाहित दस इंद्रियां, मन एवं कर्मों को जीवात्मा (आत्मा) रूप में स्थित सब इन्द्रियों, मन, बुद्धि, आत्मा को जानने वाला जगत गुरु श्री हरि (ईश्वर) ही क्षेत्रज्ञ है।
बाद सभी स्वाध्याय भक्तों ने गीता जी की आरती, पुष्पांजली की तथा प्रसाद वितरण हुआ जिसमें 20 -25 भक्तो ने धर्म लाभ लिया 

न्यूज़ सोर्स : Pr