उच्च शिक्षा विभाग की सबसे बड़ी खबर, 
(मुरारीलाल सोनी की रिपोर्ट)
*करोड़ों के भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे भोज मुक्त विश्वविद्यालय के  कुलपति जयंत सोनवलकर*
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भोज विवि के *कुलसचिव एल.एस. सोलंकी ने मंत्री श्री मोहन यादव को सौंपे आर्थिक गबन के सबूत*

 *विवि में सरकार से पदस्थ अधिकारी कुलसचिव जब सबूतों सहित कर रहे है शिकायत तो जांच क्यों होगी, कुलपति का इस्तीफा महू कुलपति की तरह क्यों नहीं* *लिया जा रहा है,* 

 *सोनवलकर की देवी अहिल्या विवि के समय की 10 करोड़ की जांच सीबीआई कर रही है। 65 करोड़ की जांच* *आयुक्त भोपाल संभाग कर रहे है, पी एच डी में नकल की जांच दो* कुलपति कर रहे है।

 *सभी जांचों evm विधान सभा के प्रश्नों के फर्जी जवाब *सरकार द्वारा स्थांतरण होने के बाद दो साल से जमे बिना* आदेश के कार्य kr रहे *एल पी झरिया* कर रहे है कुलपति के भ्रटाचार में सहयोग, *जबकि झरिया के साथ हुए आदेश के पालन में आए सभी प्रोफेसर रिलीव कर दिया गए, झरिया के पास है विवि के मलाई दार कई विभाग।* 

कभी कांग्रेस तो कभी *आरएसएस के दबाब में मंत्री मोहन यादव नहीं कर रहे कार्यवाही*

*मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ ने भी कुलपति द्वारा आर्थिक अनियमितता करेने और शासन के आदेश के बाद भी कर्मचारियों को स्वत्तों का भुगतान न करने 36 बिंदु की शिकायत की है*


*भोपाल*। प्रदेश के एक मात्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय की साख को मुखिया जयंत सोनवलकर ही बट्टा लगाते नजर आ रहे हैं। भोज विश्वविद्यालय की कमान कुलपति जयंत सोनवलकर के हाथ में हैं, लेकिन वे शिक्षा के मंदिर में ही जमकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं। दोनों पर भ्रष्टाचार को लेकर राजपाल, मंत्री से लेकर पीएस, सांसद, विधायक, तक को लिखित में शिकायत की गई है। लेकिन आरएसएस, कांग्रेस को पैसे पहुचाने के कारण जयंत सोनवलकर के विरुद्ध कार्यवाही करने से मंत्री मोहन यादव डरे हुए है। मोहन यादव की महात्वाकांक्षा मुख्यमंत्री बनने की है। उन्हें डर है कि जयंत सोनवलकर के विरुद्ध कार्यवाही करने से उनकी महत्वाकांक्षा पर पानी फिर सकता है।

भोज विश्वविद्यालय के कुलसचिव एल एस सोलंकी  शिकायत में भ्रष्टाचार का सूत्रधार कुलपति जयंत सोनवलकर को बनाया है। कुलसचिव एल एस सोलाकी ने पिछले तीन सालों में दस्तावेजों के अध्ययन के बाद पाया कि *जयंत सोनवलकर ने आर्थिक अनियमितताओं के साथ-साथ सामग्री क्रय व अन्य प्रशासकीय कार्यों में ढेरों* अनियमिताये कर *करोड़ों का गबन किया।* ये अनियमितताएं गत तीन वर्षो से कुलपति पद का दुरुपयोग करके अधिनस्त कर्मचारियों पर दबाव बनाकर किये गए है।

*ऑनलाइन ऑडियो विडियो के नाम पर 5.25 करोड़ का भ्रष्टाचार  करने का कुलसचिव पर दबाव बना रहे कुलपति*
कुलपति ने अपनी शिकायत में बताया कि ऑडियो- वीडियो लेक्चर स्थानीय शासकीय कॉलेज के प्रोफेसर से निशुल्क विश्वविद्यालय तैयार कराता रहा है। लेकिन कुलपति जयंत सोनवलकर   इस व्यवस्था को बंद करके  बहरी एजेंसी से 5. 25 करोड़ खर्च करके ऑडिय- विडियो बनाने के लिए कुलसचिव पर आर्डर निकलने का दबाव बना रहे है। 

*कुलपति के कार्यकाल में जमकर हुआ भ्रष्टाचार*
भोज विश्वविद्यालय के कुलपति जयंत सोनवलकर ने अपने कार्यकाल के दौरान 100 करोड़ से ज्यादा की विट्टोया अनियमितता की है। जिसमे स्टडी मैटेरियल की प्रिंटिंग में रिश्वतखोरी, टेंडर घोटाला, बिल क्लीयरेंस से जुड़े मामलों के अलावा भर्तियों में भ्रष्टाचार शामिल हैं। जिसके चलते राजभवन में जांच चल रही है। आरएसएस के दबाव के कारण भोज विश्वविद्यालय के कुलपति पर पिछले एक साल से चल रही जांच का निष्कर्ष अभी तक नहीं निकल पाया है।

*स्वत्तों का भुगतान न करने और आर्थिक अनियमितता को लेकर राज्य कर्मचारी संघ भी मैदान में उतरा*

जयंत सोनवलकर के भ्रष्टाचार और कर्मचारियों के शोषण के मामले को लेकर राज्य कर्मचारी संघ भी मैदान में उतार चूका है। संघ के प्रदेश महामंत्री एवम  विभागीय समिति अध्यक्ष (उच्च शिक्षा)  ने 36 बिंदुओ की शिकायत महामहिम राज्यपाल, माननीय मुख्यमंत्री, मंत्री जी उच्च शिक्षा, प्रमुख सचिव , सांसद, विधायक को अवगत कराते हुए कुलपति पर आरोप लगाया है कि कुलपति जयंत सोनवलकर राज्य सरकार के आदेश के बाद भी कर्मचारियों को स्वत्तों का भुगतान और लाभ नहीं दे रहे है। कर्मचारियों के वर्षों से लंबित मांगों पर कुलपति ध्यान नहीं दे रहे है। विवि में आतक फैला है, मिला हो या पुरुष किसी से भी पूछो सभी को बैक्तिगत हानि पहुंचा रहे है । *कुलपति इसके उलट उनका ध्यान केवल भ्रष्टाचार में लगा हुआ* है।

*पांच महीने का बचा है कार्यकाल*
भोज मुक्त विश्वविद्यालय के सुत्रों के हवाले से खबर है कि कुलपति जयंत सोनवलकर का कार्यकाल केवल पांच महीने का ही बचा हुआ है। इस बीच वो आरएसएस के *मुकुल कानिटकर* पर खर्च किये गए रुपये __ और कुलपति बनने में लगे हुए करोड़ी की रकम को निकलने में लगे हुए है। जिसके लिए वो विश्वविद्यालय के कुलसचिव और कर्मचारियों पर दबाव बना रहे है। ये रकम लगभग 50 करोड़ के आसपास है। अगर वो ये रकम नहीं निकाल पाये तो उन्हें करोडो का नुकसान होगा।

न्यूज़ सोर्स : Icn