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देश में गणगौर का पर्व सोमवार को मनाया जा रहा है पंडित अरुण कुमार शास्त्री बताते है कि शुभ मुहूर्त और महत्व से लेकर पूरी जानकारी भारत विविधताओं का देश है और यहां कई ऐसे अनोखे त्यौहार और पर्व मनाए जाते हैं जो अपने आप में ही बहुत विशेष होते हैं।मुख्य बातें सौभाग्य प्राप्ति के लिए महिलाएं करती हैं भगवान शिव और पार्वती की पूजागणगौर का पर्व राजस्थान समेत उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात जैसे उत्तरीय पश्चिम इलाके में मनाया जाता है।पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखा जाता है, यह व्रत पत्नियां अपने पति से छुपा कर रखती हैं ‌ अपने आप में ही बहुत विशेष होते हैं। ऐसा ही एक पर्व है जो महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और गणगौर माता यानी माता पार्वती की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं। हर वर्ष यह तिथि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर पड़ती है। गणगौर पूजा के साथ अक्सर मत्स्य जयंती भी मनाई जाती है।मरघटिया महावीर मंदिर के महंत कन्हैया दास महाराज बताते हैं कि, गणगौर का मतलब गण शिव और गौर माता पार्वती से है। 16 दिन तक चलने वाली यह पूजा चैत्र कृष्ण प्रथम यानी दुल्हैंडी से शुरू होकर शुक्ल तृतीया यानी तीसरे नवरात्र को पूरी होत है।
गणगौर पर्व को राजस्थान में मारवाड़ी समाज के लोग 16 दिनों तक एवं मध्यप्रदेश में निमाड़ी समाज के लोग तीन दिनों तक मनाते हैं और बुंदेलखंड में एक दिन मनाया जाता है। वास्तव में गणगौर महिलाओं का ही पर्व है। इस दिन कुंवारी कन्याएं के साथ सुहागिन महिलाएं दोपहर तक उपवास रखती हैं और पूरे विधि विधान से शिव और पार्वती की पूजा करती हैं। कुंवारी कन्याएं अच्छे वर के लिए जबकि सुहागिनें पति की लंबी उम्र के लिए यह पूजा करती हैं।
गणगौर पूजा 2022 तिथि और मुहूर्त

गणगौर पूजा प्रारंभ: - 18 मार्च 2022
तिथि समाप्त: - 4 अप्रैल 2022
गणगौर पूजा का महत्व
गणगौर पूजा राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत भारत के उत्तरी प्रांतों का लोकप्रिय पर्व है। महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए यह पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार,‌इस‌ दिन को प्रेम का जीवंत उदाहरण माना जाता है क्योंकि भगवान शिव ने माता पार्वती को और माता पार्वती ने संपूर्ण स्त्रियों को सौभाग्यवती होने का वरदान दिया था। जो सुहागिन गणगौर व्रत करती हैं तथा भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं उनके पति की उम्र लंबी हो जाती है। वहीं, जो कुंवारी कन्याएं गणगौर व्रत करती हैं उन्हें मनपसंद जीवनसाथी का वरदान प्राप्त होता है। इस पर्व को 16 दिन तक लगातार मनाया जाता है और गौर का निर्माण करके पूजा की जाती है। ‌
कैसे होती है पूजा, क्या है मान्यता



तालाब, नदी या कुएं पर जाकर महिलाएं गणगौर को पानी पिलाती है। इस दिन टेसू के फूलों को पानी में भिगोकर इनका इस्तेमाल किया जाता है। शास्त्रों की मानें तो मां पार्वती ने अखण्ड सौभाग्य की कामना के लिए तप किया था और इसी तप के प्रभाव से उन्हें भगवान शिव की प्राप्ति हुई थी। इस मौके पर मां पार्वती ने सभी स्त्रियों को भी सौभाग्य का वरदान दिया और तभी से गणगौर की पूजा शुरु हुई। पूजा के दौरान व्रत कथा भी होती है जिसमें मां पार्वती का जिक्र आता है।

न्यूज़ सोर्स : Icn