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आईसीयू वार्ड में प्लांट से आ रही ऑक्सीजन दी जा रही है
रायसेन।
कोरोना महामारी संकटकाल में सामने आई ऑक्सीजन की कमी के बाद अब हम खुद आत्मनिर्भर बन गए। गंभीर मरीजों को सांसें देने के लिए अब हमें जिला अस्पताल रायसेन से ही नहीं ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने की जरूरत नहीं है। सिर्फ बच्चों को प्रेशर से ऑक्सीजन देने के लिए ही सिलेंडर की खरीदना पड़ रहे हैं। इससे जिला अस्पताल की हर माह डेढ़ लाख रुपए की बचत हो गई।जिससे ऑक्सीजन के मामले में जिला अस्पताल आत्मनिर्भर की ओर आगे बढ़ रहा है।
वैशविक महामारी कोरोना काल के अलावा जिला अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की खरीदी पर ही हर माह डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा खर्च करना पड़ते थे। औसतन हर माह हमें भोपाल रायसेन से 200 सिलेंडर खरीदने पड़ते थे। बकायदा इसके लिए प्रति सिलेंडर हमें 750 रुपए चुका रहे थे।
बीमारियों के सीजन के समय तो सिलेंडर खपत का आंकड़ा 250 से 300 तक पहुंच जाता। पूरे साल औसतन हर महीने 1.50 लाख रुपए से ज्यादा की राशि सिर्फ ऑक्सीजन खरीदी के चुकाना पड़ते थे। लेकिन अब एक माह में अधिकतम 20-22 सिलेंडर ही लग रहे हैं। यानी पिछली खपत के मुताबिक सिर्फ 15 फीसदी सिलेंडर की ही बाहर से खरीदने पड़ रहे हैं। अप्रैल में जिला अस्पताल में सिर्फ 20 सिलेंडर ही खर्च हुए। 750 रुपए के हिसाब से सिर्फ 15 हजार रुपए में ही काम हो गया।
नवजात बच्चों के लिए ही सिलेंडर की जरूरत....
ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत अब सिर्फ एसएनसीयू वार्ड में भर्ती होने वाले नवजात बच्चों के लिए ही पड़ रही है। क्योंकि प्लांट से बनकर आ रही ऑक्सीजन का प्रेशर कम है। जबकि बच्चों को ज्यादा प्रेशर से ऑक्सीजन देना पड़ती है। इस कारण सिर्फ इसी वार्ड में ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती है।
भविष्य के लिए भी तैयार.....
कोरोना से ली गई सीख के बाद ऑक्सीजन आपूर्ति में अब रायसेन जिले में कमी नहीं आएगी। रुटीन में भर्ती होने वाले मरीजों के लिए तो एक प्लांट ही पूर्ति होने लगी है। लेकिन भविष्य में यदि ऑक्सीजन खपत बढ़ती हैं तो भी हमारे पास दो प्लांट ओर है। यानी ऑक्सीजन की कमी अब नहीं आएगी।
एक प्लांट पूरे समय चालू, सीधे वार्ड में सप्लाई....
3 हजार एलपीएम क्षमता का एक प्लांट पूरे समय चालू रहता हैं। इससे बनने वाली ऑक्सीजन सीधे लाइन के जरिये आईसीयू वार्ड में पहुंचा दी गई। जो वार्ड में भर्ती मरीजों तक सीधे नली के जरिये पहुंच जाती है।
अब 15 हजार में ही हो रहा काम- जिला अस्पताल में नवजात शिशुओं के लिए ही ऑक्सीजन सिलेंडरों की आवश्यकता पड़ रही है। क्योंकि बच्चों को प्रेशर से ऑक्सीजन देना पड़ती है। इसलिए जिला अस्पताल में 15 हजार से ही काम हो रहा है।
एक ही ऑक्सीजन प्लांट से कर रहे पूर्ति
जिला अस्पताल का ऑक्सीजन प्लांट चालू होने के बाद अब आईसीयू के मरीजों के लिए हमें सिलेंडर खरीदी की बिलकुल जरूरत नहीं पड़ती। प्लांट से बनने वाली ऑक्सीजन से ही पूर्ति हो जाती है। सिर्फ बच्चों को प्रेशर से ऑक्सीजन देने के लिए ही सिलेंडर लग रहे है। इससे हर माह खर्च होने वाले करीब डेढ़ लाख रुपए की बचत होने लगी है।
- डॉ विनोद परमार आरएमओ एवं बऑक्सीजन प्रभारी जिला अस्पताल रायसेन

न्यूज़ सोर्स : Icn