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30 साल से लंबित मांगों को लेकर परेशान थे कर्मचारी अब संयुक्त मोर्चा बनाया। मध्य प्रदेश के 52 जिलों में संयुक्त मोर्चा कर रहा है। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री से मांग।

रायसेन। प्रदेश के परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों की लंबे समय से लंबित महत्वपूर्ण मांगे पूरी नहीं होने के कारण आज 21 मार्च से कलम बंद हड़ताल जारी हो गई है। इससे पहले सभी ने संयुक्त मोर्चा, आईसीडीएस परियोजना अधिकारी संघ, पर्यवेक्षक संघ ने संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान मे अपनी विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टर और संयुक्त संचालक को दिया है। इसमें मांग की गई है। कि प्रदेश के परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों की वेतन विसंगति एवं पदोन्नति विगत 25 वर्षों से शासन स्तर पर लंबित है। जिसका विभाग द्वारा कोई निराकरण नहीं किया गया है। जिससे प्रदेश के परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों में बेहद निराशा एवं गंभीर आक्रोश है। प्रदेश के परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों ने अपनी मांगों के संबंध में शासन से निवेदन करने के लिए संयुक्त मोर्चा का गठन किया है। इसमें मुख्य रूप से मांग की गई है, कि परियोजना अधिकारियों की ग्रेड में 3600 रुपए से बढ़ाकर 48 00 रुपए किया जाए। वर्तमान में देश के अन्य राज्यों में सबसे कम एवं विकास खंड स्तरीय समकक्ष अधिकारियों में सबसे कम रेट पर परियोजना अधिकारियों का है। पर्यवेक्षकों का ग्रेड पे 2400 से बढ़ाकर 3600 सो रुपए किया जाए। वर्तमान में पर्यवेक्षकों का ग्रेड पर देश के अन्य राज्यों से सबसे कम है। परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों का ग्रेड पे बढ़ाकर 4800 एवं ₹3600 करने का निर्णय विभागीय मंत्री से अनुमोदित प्रस्ताव अगस्त 2018 से वित्त मंत्रालय में लंबित है। परियोजना अधिकारियों को सामान्य प्रशासन, पुलिस वित्त विभाग की तरह चार स्तरीय टाइम  स्केल प्रदान किया जाए। पर्यवेक्षकों का नियमित प्रमोशन करके परियोजना अधिकारी के रिक्त पद भरे जाएं। वर्तमान में विगत 30 वर्षों से अनेक पर्यवेक्षक एक ही पद पर पदस्थ है। पर्यवेक्षक को पूरे सेवाकाल में 3 प्रमोशन दिए जाएं। परियोजना अधिकारियों को आहरण संवितरण अधिकार पुनः देकर विकेंद्रीकरण किया जाए। सन 2016 से आहरण संबित करण अधिकारियों को बिना किसी औचित्य के केंद्रीकरण कर जिला अधिकारियों को दिया गया है, इसे समाप्त कर पुनः परियोजना स्तर पर दिया जाए। देश के अन्य सभी राज्यों में परियोजना अधिकारियों को डीडीयू दिया गया है। एवं भारत सरकार की गाइडलाइंस में भी परियोजना अधिकारियों को डीडियो देने का प्रावधान है। प्रदेश में वर्ष 2007 से 210 में व्यापम परीक्षा से संविदा पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई थी। उनके बाद से विभाग में संविदा पर्यवेक्षकों की नियुक्ति बंद कर दी गई है। अतः प्रदेश में शेष बचे संविदा पर्यवेक्षकों को नियमित किया जाए। क्योंकि यह सभी व्यापम परीक्षा उत्तीर्ण है एवं 10 वर्षों से अधिक का विभागीय अनुभव भी प्राप्त है। विकासखंड सशक्तिकरण अधिकारी के पद पर से प्रभारी शब्द हटाया जाए एवं विकासखंड सशक्तिकरण अधिकारी के 313 स्वीकृत पदों को समर्पित करके उतनी ही राशि से हर जिले में सहायक संचालक ट्रेनिंग का पद सृजित किया जाए। इससे शासन पर कोई भी वित्तीय भार नहीं आएगा एवं प्रमोशन चैनल खुलेगा वर्ष 2014 के बाद के सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों, विकासखंड महिला सशक्तिकरण अधिकारी की परिवीक्षा अवधि समाप्त की जाए। पर्यवेक्षकों को प्रतिमाह भ्रमण के आधार पर नियमित यात्रा भत्ता प्रदान किया जाए। उपरोक्त मांगों को पूरा करने के लिए परियोजना अधिकारी संघ एवं पर्यवेक्षक संघ द्वारा विगत वर्षों से विभागीय मंत्री, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव महिला बाल विकास विभाग एवं आयुक्त को अनेक बार ज्ञापन दिए जा चुके हैं। लेकिन किसी भी स्तर से मांगों को निराकृत नहीं किया गया है। जिससे दोनों केडर के अधिकारियों में बेहद निराशा एवं असंतोष है। मुख्यमंत्री जी आप स्वयं महिला एवं बाल विकास विभाग के भारसाधक मंत्री भी हैं अतः कृपया अति शीघ्र उक्त मांगों को पूरा करने का कष्ट करें।

मजबूर होकर बनाया संयुक्त मोर्चा

आईसीडीएस परियोजना अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष राम कुमार सोनी ने बताया कि यह 30 साल में पहली बार हुआ। जब मध्यप्रदेश में परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षक संघ दोनों ने मिलकर संयुक्त मोर्चा बनाया है। आज प्रदेश स्तर पर मुख्यमंत्री को एवं संचालक को भोपाल संभाग कमिश्नर को ज्ञापन दे रहे हैं। पूरे मध्यप्रदेश में आशा सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन दिया जा रहा है। श्री सोनी ने बताया हर राज्य में परियोजना अधिकारियों को मध्यप्रदेश में हमारी पर्यवेक्षक है एक ही पदों पर हैं 30 सालों में विकासखंड प्रभारी बनाकर चार्ज प्रभारी महिला अधिकारी बनाया गया। शब्द हटाया जाए। हमारी पर्यवेक्षक इन्हीं सब मांगों को लेकर आज से कलम बंद हड़ताल पर हैं। हम सब के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। शासन को यह बातें मानना पड़ेगी। अपनी 30 साल बाद अपनी मांग रखी है। इसके पहले कई बार हम शासन को अवगत करा चुके हैं। लेकिन आज तक हमारी कोई भी मांग पूरी नहीं हुई है। इसीलिए आज मजबूर होकर संयुक्त मोर्चा का गठन कर हम मध्य प्रदेश के पूरे 52 जिलों में संयुक्त मोर्चा का गठन हुआ है। जिला स्तर पर यह ज्ञापन दिया जा रहा है। इसी तारतम्य में आज सभी एकत्रित हुए थे और संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में ज्ञापन दिया गया।

न्यूज़ सोर्स : Icn