रायसेन वालों ने अच्छे पुण्य किए होंगे जो नवरात्र में चैत्र मास में कथा श्रवण करने को मिल रही है
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शंकर पर एक लोटा जल चढ़ाना शुरू कर दो आपका कल्याण हो जाएगा - पंडित श्री मिश्रा जी
(सत्येंद्र जोशी)
राहु ने कांटा लगा धतूरा शिवजी को चढ़ा दिया, जिससे शंकर प्रसन्न हो गए और शिव ने राहु को मस्तिष्क पर धारण कर लिया
रायसेन। त्रिपुंड शिव महापुराण कथा के पांचवे दिन आज अंतर्राष्ट्रीय पंडित सीहोर वाले श्री प्रदीप मिश्रा जी ने कहा कि जीवन में बदलाव चाहते हो मात्र दो काम शुरू कर दो एक सूर्य को अर्घ देने का और दूसरा शंकर भगवान को जल चढ़ाने का। अजर अमर है मेरा शंकर, जो कहोगे वह सुनेगा। उसे पाने का मन बना लीजिए। शिव की आराधना में जो सुख है। वह कहीं नहीं है।
एक बार गौतम बुद्ध पूरा राजपाट छोड़कर चल दिए। उन्होंने विचार किया की आत्मा का कल्याण करना है। गौतम बुद्ध ने यह विचार कर लिया की आत्मा का कल्याण करना है। श्री बुध चले जगह-जगह घूमते रहे साधना करते रहे पर आत्मा का कल्याण नहीं हुआ। तब उनको लगा परिवार छोड़ दिया। रिश्ते नाते छोड़ दिए। कुटुंब कबीला छोड़ दिया। फिर आत्मा का कल्याण क्यों नहीं हुआ। उन्होंने सोचा यह आत्मा परमात्मा से मिल को नहीं रही। तब हार गए। तभी एक सरोवर के पास गए एक गिलहरी फल लेकर जा रही थी और फल गिलहरी के हाथ से पानी में गिर जाता है और फल नीचे चला जाता है गिलहरी ने देखा मेरा फल चला गया और गिलहरी पानी में कूद जाती, डुबकी लगाकर बाहर आती है। पानी को शरीर से झढ़ा देती है। बार-बार प्रयास करती है। उन्होंने विचार किया एक गिलहरी फल को पाने के लिए बार-बार प्रयास कर रही है, एक फल पाने के लिए पूरा जीवन लगा देती है। कभी तो सरोवर का पानी खाली होगा। उसने आस नहीं छोड़ी। उसी तरह श्री गौतम बुद्ध ने विचार किया मुझे भी आस नहीं छोड़ना है। लगे रहना है। एक दिन तो भगवान मिलेंगे। तो उदाहरण है श्री गौतम बुध लगे रहे और भगवान के रूप में पूजे गए। मृत्यु लोक में अगर जन्म लिया है तो दुनिया के लोगों को सिर्फ भक्ति करना है कोई कुछ भी कहे भक्ति का मार्ग नहीं छोड़ना है। कोई कितना भी कहे अपना मार्ग नहीं छोड़ना है। छोटी सी जिंदगी है मनुष्य कब चला जाएगा। किसी को पता नहीं चलेगा। और मुक्ति कहीं नहीं मिलेगी। इसलिए भक्ति शबरी की तरह करो। गुरुजी ने कहा शबरी क्यों कर रही थी भगवान श्री राम के आने का इंतजार क्योंकि उसने मातंग ऋषि के दरवाजे पर सुन लिया था कि भगवान श्री राम आएंगे। यह बात सुनते ही शबरी ने इंतजार करना शुरू कर दिया। उसने भगवान के आने के इंतजार में पूरी उम्र गवा दी। 1 दिन सफल हो गई। कथा में उन्होंने राहु की कथा बताते हुए कहा कि शिव के गले में जो मुंड हैं वह राहु के शीश है। राक्षस थे राहु अमृत पी गए इसलिए देव बन गए। राहु कहता है मेरा शीश कट गया था। जंगल में घूम रहा था। मैं संसार को नष्ट करने के लिए घूम रहा था। तभी कांटे जैसा गोल धतूरा मेरे हाथ लग गया और मैंने वह धतूरा शंकर के ऊपर रख दिया। शिव ने मुझे धारण कर लिया। यह शंकर है। दुनिया में कोई ऐसा देवता बताओ जिसे तुमने कांटे दिए हो वह तुम्हें आशीर्वाद दे दे। शंकर भगवान को कांटे दिए जाते हैं तो भी मेरा शंकर प्रसन्न हो जाता है। आशीर्वाद दे देता।
रायसेन शहर के लोगों की प्रशंसा की गुरुजी ने
रायसेन वालों ने अच्छे पुण्य किए होंगे जो नवरात्र में चैत्र मास में कथा श्रवण करने को मिल रही है। आपका किया हुआ व्रत, आपकी की हुई साधना कभी खाली नहीं जाती। जो किया है वह फल के रूप में मिलती है। पाने के लिए प्रयास करना चाहिए निश्चित तौर पर उसका फल मिलता है। भीषण गर्मी को देखते हुए गुरुजी ने कहा आप लोग घर से चले थे। गर्मी पड़ रही है। पानी की बोतल साथ लेकर चले। पानी की बोतल तो खाली हो गई। पर यहां आत्मा की बोतल भर गई जो आपके जीवन में कल्याण करेगी।
भजन करने वाले की कीमत बढ़ जाती है।
त्रिपुंड शिव महापुराण कथा में पंडित श्री मिश्रा जी ने आज कथा के पांचवें दिन कहा कि भजन करने वाले का, कीर्तन करने वाले का, कथा सुनने वाले का, कीमत मेरा भगवान बढ़ा देता है। एक कागज वह है जिस पर अख़बार छपता है। जो बाजार में बिक जाता है। एक कागज वह हैं जिस पर गीता लिखी जाती है। जिससे वह कागज अनमोल हो जाता है। जो कथा नहीं सुन पा रहे हैं वह कागज की कीमत कम हो जाती है, जो भगवान का भजन करता है, जो भगवान का स्मरण करता है, जो भगवान की स्थिति में डूबा रहता है, शिव नाम में, राम नाम में, कृष्ण नाम में, दिन रात डूबा रहता है उसकी कीमत दुनिया के लोग नहीं बढ़ाते, उसकी कीमत देवा दी देव महादेव बढ़ा देते हैं। केवल भगवत भक्ति करके तो देखो। उन्होंने मक्खी को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि एक मक्खी वह है जो व्यक्ति सब्जी तोल रहा है, कोई गोभी तोल रहा है, बैगन तोल रहा रहा है। मक्खी उस बैगन के ऊपर बैठ गई, और तुल गई उसकी कोई कीमत हुई क्या? नहीं,वही मक्खी सुनार की दुकान पर पहुंच गई और सुनार सोना तोल रहा है सुनार के पल्ले पर बैठ गई तो मक्खी की कीमत बढ़ गई। उसी तरह यह ऊपर वाला निर्भर करता है कि आप सब्जी पर बैठ रहे हो कि सोने पर बैठ रहे हो। यह आप पर निर्भर करता है, कि आप संसार के लोगों में बैठ रहे हो कि शिव महापुराण की कथा में बैठ रहे हो। आप की कीमत आप स्वयं निश्चित करो। उन्होंने कहा मानो तो मैं गंगा मां हूं ना मानो तो बहता पानी। अगर विश्वास है तो भगवान मिलेंगे। गुरुजी ने कहा काल भी उसका क्या बिगाड़े जो भक्त हो महाकाल का। जो शंकर का उपासक होता है उसका काल भी कुछ नहीं बिगड़ सकता।"अरे डमरू वाले बाबा आजा तेरी याद सताए, मेरा यह भरोसा कहीं टूट न जाए"
इस सुंदर भजन पर महिलाएं नृत्य करने लगी। छुपा कहां हो भोले बाबा और डमरू वाले बाबा आजा तेरी याद सताए मेरा यह भरोसा कही टूट न जाए।
कथा मैं गुरु जी ने कहा कुबेर भंडारी आपके सामने है साक्षात है मांग कर तो देखो
गौतमपुरा भोपाल से किसी ने अपने हाथ से गुरु जी का चित्र बनाकर भेजा। गुरुजी ने मंच से धन्यवाद दिया। कथा में एक महिला ने गुरु जी को पत्र लिखा। मैं मध्यप्रदेश सलामतपुर की रहने वाली हूं। मेरे बेटे को बोलने में दिक्कत थी अच्छे से बोल नहीं पाता था। मैंने आपका शिवपुराण देखा और आपने जो उपाय बताए थे। वह मैंने किया। बेल फल वाला उसका गूदा निकाल कर जला कर उसकी भस्म बनाकर शिव को चढ़ाने वाला उपाय किया। अब मेरा बेटा चल रहा है। उसके बोलने की आवाज भी ठीक हो गई है। मैं गुरुदेव को धन्यवाद देती हूं। सांची से आई महिला ने बाबा को पत्र में लिखकर कहा मैंने बाबा महादेव का व्रत किया। मेरे गाठ थी जो व्रत करने से गल गई है, मैं ठीक हूं। हमने बाबा को नहीं देखा पर झोली भरी देखी। सिलवानी क्षेत्र से आए शिवराज सिंह कुर्मी ग्राम चिंगवाड़ा ने लिखा। ट्यूबवेल का पानी सूख गया था, पानी नहीं था, मन में विचार आया शिव महापुराण की कथा में महाराज कहते हैं शिव पर विश्वास करो। मैंने 2 अप्रैल 22 को शंकर जी के मंदिर गया एक लोटा पानी चढ़ाया। बोर के पास रख दिया और बोर करवाया बोर में १२० फिट पर पानी आ गया। छत्तीसगढ़ से आई महिला ने कहा जब छत्तीसगढ़ में कथा चल रही थी मैंने भगवान शंकर से कहा कि बाबा तुम्हारी अगली कथा सुनने तभी जाऊंगी जब मेरी गाड़ी आएगी। मेरी गाड़ी आ गई है। आज मैं रायसेन अपनी गाड़ी से कथा सुनने आई हूं। गुरुजी ने कहा मैं कहता हूं 7 दिन में जो कहोगे मेरा बाबा पूरी करेगा। दिल से कथा सुनो, कुबेर भंडारी कोई साधारण नहीं साक्षात है आपके सामने है। अनुराधा पाल भोपाल लिखती है गुरु जी हमारी जमीन मैं बोनी नहीं हो पा रही थी। गुरुदेव गेहूं की फसल लेना थी बोर में मोटर नीचे गिर गई थी। वह भी गया पानी भी गया। कहीं व्यवस्था नहीं हुई। गुरुदेव विश्वास शंकर पर रखा। खेत के पास शिव जी का मंदिर था। वही शंकर भगवान को एक लोटा जल चढ़ाया। कुछ समय हुआ गुरुदेव 2 दिन के अंदर जल बरसा प्रारंभ हुई और बाबा की कृपा से आसपास कहीं पानी नहीं था हमारी व्यवस्था हो गई और हमारी पूरी बोनी हो गई। फसल भी बहुत अच्छी हुई। इसलिए मैं प्रणाम करने आई हूं। सुदेश वाला गुरुग्राम हरियाणा से कथा सुनने रायसेन आई है। पत्र में लिखती है। गुरुदेव 10 तारीख को तीसरे महीने 20-22 में घर के सामने से हमारी एक्टिवा गाड़ी चोरी हो गई थी। गुरुदेव मेरी बहू जो कथा सुन रही थी तुरंत शिव जी के मंदिर गई भगवान शंकर से कहा गाड़ी चोरी हो गई है। बाबा कुछ भी करो मेरी गाड़ी ढूंढ कर दो। गाड़ी कि थाने में रिपोर्ट किया 4 घंटे बाद सूचना आई गाड़ी मिल गई। यह शिव है।