रुक्मिणी विवाह में किया कन्यादान, सुदामा चरित्र में छलके आंसू
सांचेत ग्राम अंडोंल में चल रही संगीतमय श्रीमद् भगवत कथा के सातवें दिन कथावाचक पंडित ओम प्रकाश शुक्ला सोजना बालों द्वारा रुक्मिणी विवाह में किया कन्यादान, सुदामा चरित्र में छलके आंसू
India city news.com
श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचक पंडित ओम प्रकाश शुक्ला ने रुक्मणी विवाह का वर्णन सुनाते हुए कहा की बेटे एक कुल को तारते हैं पर बेटियां तीन कुलों को तारती है। रुक्मणी विदाई का प्रसंग सुनाते के बाद कृष्ण सुदामा का प्रसंग सुनाया। सुदामा चरित्र की कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि, सुदामा से परमात्मा ने मित्रता का धर्म निभाया। राजा के मित्र राजा होते हैं रंक नहीं, पर परमात्मा ने कहा कि मेरे भक्त जिसके पास प्रेम धन है। वह निर्धन नहीं हो सकता। कृष्ण और सुदामा दो मित्र का मिलन ही नहीं जीव व ईश्वर तथा भक्त और भगवान का मिलन था। जिसे देखने वाले अचंभित रह गए थे। आज मनुष्य को ऐसा ही आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। सेवा के द्वारा ही व्यक्ति महान बनता है। आगे कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा यशोदानंदन श्रीकृष्ण के बाल सखा सुदामा थे तथा दोनों ही साथ में ही संदीपनी आश्रम में शिक्षा ली। शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत यशोदानंदन मथुरा आ गए और सुदामा अपने प्रदेश लौट गए। सुदामा भगवान के स्वरूप को पहचान गए थे। लेकिन पत्नी सुशीला की हट के आगे उन्हें द्वारिका जाने पर मजबूर कर दिया। सुदामा इतने गरीब थे कि उनके घर में खाने तक के लाले पड़े हुए थे। पत्नी पड़ोस में जाकर चावल लेकर आई, जिसकी पोटली बनाकर दी फिर सुदामा द्वारिका के लिए निकल पड़े। लेकिन द्वारिका में पहुंचते ही कृष्ण के दरबारियों ने उन्हें रोक दिया। जब यह सूचना भगवान तक पहुंची तो वह दौड़े चले आए और अपने सखा को गले लगाकर तीनों लोक दे दिए। अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो कि दर पर सुदामा गरीब आ गया है शानदार भजनों के साथ कथा के अंतिम दिन यज्ञ आहुति एवं प्रसादी का वितरण किया गया।