Indiacitynews.com
(सत्येंद्र जोशी)
रायसेन। शहर के दशहरा मैदान में गत 3 अप्रैल से चल रही त्रिपुंड शिव महापुराण कथा के विश्राम दिवस सातवें दिन आज पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हिंदू सनातन धर्म से कोई बड़ा धर्म नहीं है।रायसेन शहर की महिलाएं, भाई, बहन कथा श्रवण कर रहे हैं। आपसे मेरा अनुरोध है कि अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें, अच्छी शिक्षा दें, ताकि बच्चे सनातनी हों। और आने वाले समय का सामना कर सके। हमारे बच्चे यदि गलत संगत में चले जाएं तो सोमेश्वरधाम महादेव का पूजन करके बच्चों को ठीक किया जा सकता है। उन्होंने पूजा की विधि भी बताई। कथा में श्री प्रदीप मिश्रा जी ने हिरण्यकश्यप भक्त प्रहलाद की कथा का सुंदर तरीके से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर भोले हैं। जरा से जल से बेलपत्र से प्रसन्न हो जाते हैं। जो लोग बेलपत्र जल नहीं चढ़ा सकते। उनके सामने से मुस्कुरा कर ही निकल जाएं तो भी प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने कहा की प्रहलाद ने जब देखा कि मेरे पिता हिरण्यकश्यप मुझे मारने का बहुत प्रयास कर रहे हैं फिर भी मुझे मार नहीं पा रहे। "श्री शिवाय नमस्तुभ्यं" हिरण कश्यप ने भक्त प्रहलाद से कहा कहां है तेरा भगवान, श्री पहलाद ने कहा इस खंभे के अंदर है। तभी हिरण कश्यप ने खंबे में गदा से प्रहार किया। भगवान विष्णु नरसिंह भगवान के रूप में प्रकट हो गए। उस समय भगवान को क्षबहुत क्रोध था। नरसिंह भगवान का क्रोध शांत नहीं हुआ। सारे देवता देखकर भगवान शंकर के पास पहुंचे। हे प्रभु नरसिंह भगवान को क्रोध आ गया है। वह शांत नहीं हो रहे हैं। शिव जी कहते हैं, क्रोध शांत करने का एक ही तरीका है 33 कोटि देवता मेरे साथ हो जाएं। मैं धनेश पक्षी का रूप रखता हूं 33 करोड़ देवता मुझे दे दो सब मुझ में समा जाओ मैं उड़ते हुए जाऊंगा। अपने पंजों से नरसिंह भगवान को उठा लूंगा और उन्हें उठाकर अलकनंदा नदी मैं डाल दूंगा। नदी का पानी ठंडा होता है। जिससे वह ठंडे हो जाएंगे। भगवान शंकर ने पक्षी का रूप रखकर शंकर उड़ते हुए पक्षी का रूप रखकर नरसिंह भगवान को पंजे में पकड़ा और सीधे बद्रिकाश्रम पहुंचे। वहां अलकनंदा नदी में उन्हें डाल दिया। डालते ही भगवान का क्रोध शांत हो गया। तो नरसिंह भगवान वहां एक शिला के रूप में विराजमान हो गए। जिसे नरसिंह सिला कहते हैं। कथा के चलते सुंदर भजन" कितनी सुंदर है मां तेरी नगरी" भोले, पैदल चले आ रहे हैं। इस भजन पर महिलाएं, पुरुष नृत्य करने पर विवश हो गए।पंडित श्री मिश्रा जी ने भगवान शंकर के अनेक स्थानों का वर्णन करते हुए कहा कि पृथ्वी पर अनेक शिवालय हैं इनमें से कुछ शिवालय ऐसे हैं, जहां भगवान शंकर स्वयं विराजमान हुए और राक्षसों का वध किया।
कथा में दोषण राक्षस की कथा में उन्होंने बताया राक्षस ने ढेरों रूप रख लिए तभी सुप्रिया को क्रोध आया। सुप्रिया ने अपने जल का वेघ बढ़ाया और शिप्रा ने 84 रूप धारण कर भगवान शंकर ने राक्षस का वध कर दिया।‌ बोलो महाकालेश्वर भगवान की जय। ओमकारेश्वर का वर्णन करते हैं हुए कहा कि यहां भगवान स्वयं विराजमान है। भीमाशंकर का वर्णन आया। कुंभकरण की पत्नी करकटी देवताओं से बदला लेने के लिए भीमाशंकर प्रकट होकर राक्षस का वध कर दिया। त्रंबकेश्वर का वर्णन बताया।

देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश का हवन किया तीनों देव प्रकट हुए एक जल की धार गंगा को प्रकट की। गौतम बाबा गौ हत्या का दोष समाप्त हुआ। जब रावण स्वयं भगवान शंकर को अपनी नगरी लेकर जा रहा था तभी रावण ने शंकर भगवान को जमीन पर रख दिया। जिससे भगवान वहीं विराजमान हो गए।

शिव तेरे दरबार की बाबा शान निराली है, तुझे देते नहीं देखा झोली भरी देखी

पंडित श्री मिश्रा जी ने बताया कि कुकड़ेश्वर धाम में कोई मूर्ति नहीं है। फिर भी सबकी मनोकामनाएं पूरी होती है। वहां पर लोग 108 बार श्री शिवाय नमस्तुभयम का जाप करके आते हैं। शिव सबकी सुनता है और मनोकामना जरूर पूरी होती है। उन्होंने कहा शिव तेरे दरबार की बाबा निराली शान है। तुझे देते नहीं देखा पर झोली भरी देखी। शिव सभी पर कृपा करता है। वह स्वयं झोली भर देता है। आप दिल से मांग कर तो देखो।

अमरनाथ सेवा समिति को धन्यवाद - डॉक्टर चौधरी

स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर प्रभु राम चौधरी ने कथा के विश्राम दिवस पर आज कहा कि मैं तहे दिल से अमरनाथ सेवा समिति को धन्यवाद देता हूं। और परम पूज्य गुरु जी को नमन करता हूं। मानव समाज की सेवा से बड़ा कोई कार्य नहीं है। श्री गुरु जी के चरण रायसेन में पड़े और रायसेन की जनता को शिव महापुराण कथा का लाभ मिला किसके लिए भी मैं गुरु जी को नमन करता हूं। मैंने भी कथा में उपस्थित होकर कथा सुनी है। उन्होंने सबके लिए धर्म का मार्ग बताया है सभी इस पर चलकर अपने जीवन को धन्य करें।



न्यूज़ सोर्स : Icn