शर्म करो जिम्मेदारों...क्या मॉनिटरिंग ऐसी ही होती है श्रीमान..
(राजकिशोर सोनी की रिपोर्ट)


India city news.com
शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों आपने तो रायसेन जिले के शासकीय स्कूल के उन 27 आदिवासी बच्चों का तो भविष्य ही चौपट करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी।जिनके आपने दसवीं बोर्ड के एग्जाम फार्म ही नहीं भरवाए। जी हां हम बात कर रहे हैं शिक्षा विभाग के उन मूर्धन्य शिक्षकों और अधिकारियों की जिन्होंने अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी का पालन नहीं किया।
हमने अपनी पत्रकारिता धर्म का पालन करते हुए जिले के संवेदनशील कलेक्टर श्री अरविंद दुबे को रात 10.33 बजे व्हाट्सएप्प मैसेज किया। जिसे उन्होंने पूरी गंभीरता से लेते हुए अपने पूरे प्रशासनिक एफर्ट्स लगाए और एक पालक की भूमिका में बच्चों को एग्जाम में बैठाने के सकारात्मक प्रयास शुरू कर दिए। शुक्रवार की सुबह नो बजे तक निराशा के भाव अपने चेहरे पर लिए यह बच्चे गांव में उदास घूम रहे थे। ओर उनके माता पिता जिम्मेदारों को कोस रहे थे। तभी प्रशासनिक स्तर से आई सूचना ने उनके चेहरे पर खुशियां बिखेर दीं। और थोड़ी ही देर में यह वच्चे परीक्षा कक्ष में परीक्षा दे रहे थे।
हालाँकि इस पूरे मामले की प्रथम सूचना सेवानिवृत शिक्षक मुरारीलाल सोनी ने रात को ही शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को दे दी थी। लेकिन उनके कान पर जूँ तक नहीं रेंगीं थी।
आदिवासी बाहुल्य गांव उमरई बेहरा के यह 27 बच्चे झोपड़ीनुमा घरों में रहते हैं।
एक तरफ मध्यप्रदेश के मुखिया संवेदनशील मुख्यमंत्री का खिताब हासिल किए हुए शिवराज सिंह चौहान की सरकार आदिवासियों के जीवन स्तर को उठाने के लिए और उनके बच्चों की शिक्षा के लिए लिए सब कुछ करने तैयार है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जानकारी में भी पूरा मामला लाया गया है। लेकिन दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के शिक्षा बिभाग में ऐसे भी अधिकारी हैं जो शिवराज सिंह की मंशा के विपरीत काम कर रहे हैं।
इस मामले में शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने बहुत कड़ा रुख अपनाया है। पूरे मामले को उनके विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी भरत व्यास लगातार मॉनिटरिंग कर रहे थे । भोजपुर क्षेत्र के भाजपा विधायक सुरेंद्र पटवा ने भी अपने वोटर्स का ध्यान रखते हुए बच्चों को परीक्षा में शामिल कराने के लिए चिट्ठी लिखकर प्रयास किया था।
हालांकि इस पूरे मामले में एक सुखद पहलू यह है कि समन्वित प्रयासों के बीच सुवह 7 बजे से अपने पूरे एफर्ट लगाते हुए जिला कलेक्टर अरविंद दुबे के प्रयास सफल हुए ।
उन्होंने प्रमुख सचिव शिक्षा IAS रश्मि अरुण शमी से बात कर इन आदिवासी बच्चों को विशेष अनुमति देकर परीक्षा दिलवाई। कलेक्टर की इस संवेदना से बच्चों के चेहरे पर खुशी और उनके मातापिता के चेहरे पर संतोष के भाव स्पष्ठ देखे जा सकते थे।
वहीं दूसरी तरफ सरकारी तंत्र का हिस्सा बने शासकीय सेवक जो सजा के पात्र थे। उनको सजा भी मिली है। लेकिन सरकारी तंत्र और उस पर भी शिक्षा बिभाग इनके सिस्टम में फिट होकर यह सभी बहाल हो जाएंगे।
कलेक्टर अरविंद दुबे ने केएम शाह ब्लाक एजुकेशन अधिकारी,आरएस अहिरवार संकुल प्राचार्य ईंटखेड़ी,एवम दीनदयाल उइके प्रभारी प्राचार्य शासकीय हाई स्कूल उमरई बेहरा को निलंवित कर दिया है, जबकि जिला शिक्षा अधिकारी एमएल राठौरिया को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। हालांकि इस पूरे एपिसोड में रायसेन ही नही शिक्षा विभाग के प्रदेश स्तर के अधिकारी भी दोषी हैं। जो पूरे प्रदेश की मोनिटरिंग कर रहे थे ।
लेकिन प्रश्न फिर भी यथावत है कि ......शर्म करो जिम्मेदारों...क्या मॉनिटरिंग ऐसी ही होती है श्रीमान।


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