उत्तम क्षमा का भाव रखेंगे तो पार्श्वनाथ बन जाएंगे और यदि क्रोध का भाव रखेंगे तो कमठ बन जाएंगे -मुनि श्री साध्य सागर

(राजकिशोर सोनी)
India city news.com
जब भी स्पर्धा करो तो धर्म में करो मुनि श्री साध्य सागर जी ने उक्त बात अपने प्रवचनों में रायसेन श्री 1008 पार्स्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में पधारे मुनि श्री साध्य सागर जी ने कहीं आप ने आगे कहा कि हमें हमेशा उत्तम क्षमा का भाव धारण करना चाहिए यदि आप उत्तम क्षमा का भाव रखेंगे तो पार्श्वनाथ बन जाएंगे और यदि क्रोध का भाव रखेंगे तो कमठ बन जाएंगे आगे आप ने कहा कि शहर में प्रवेश करने वाले प्रत्येक संत का सम्मान करना चाहिए वह किस पंथ का है किस समाज का है इस पर ध्यान नहीं देना है संत तो संत होते हैं वर्तमान में लोग क्या करते हैं क्रोध को कहते हैं आओ उसे निकट बुलाते हैं और अपनी जेब में रख लेते हैं जबकि करना यह चाहिए कि क्रोध जब भी आए उसको अपने से दूर कर दें लोग कहते हैं कि पंचम काल में धर्म नहीं बचेगा वह गलत कहते हैं मुनि श्री ने कहा यदि धर्म नहीं बचा होता तो आज इतने साधु संत भारत में नहीं होते वही जैन समाज में भी लगातार बढ़ते दिगंबर साधुओं से यह सिद्ध हो गया है कि अभी पुण्य कर्म का उदय चल रहा है यदि हम अपने आप को धर्म में लगा लेंगे तो पाप कर्म का नाश होता जाएगा।
*इसके पूर्व रविवार को आचार्य गुरुवर विशुद्ध सागर महाराज के दो शिष्य मुनि श्री आराध्य सागर जी एवं मुनि श्री साध्य सागर जी शहर में पधारे उक्त आशय की जानकारी देते हुए समाज के प्रचार प्रसार व्यवस्थापक राकेश जैन ने बताया कि रायसेन दिगंबर जैन समाज एवं टीम ए पार्श्वनाथ ने रतनपुर पहुंचकर महाराज श्री की अगवानी करते हुए ढोल नगाड़ों के साथ समस्त दिगंबर जैन समाज श्री 1008 पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर पहुंची जहां शांति धारा की पहली बोली अरविंद जैन भोपाल ने प्राप्त की शांति धारा की दूसरी बोली सुरेंद्र जैन देवेंद्र नगर में प्राप्त की भगवान को पांडुक शिला पर विराजमान करने की बोली जिनेश जैन सिलवानी एवं भगवान को वापस वेदी पर विराजमान करने की बोली पीयूष जैन रायसेन में प्राप्त की

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