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(राजकिशोर सोनी)
होलिका दहन के बाद धधकते हुए अंगारो पर नंगे पैर निकले बच्चे और बुजुर्ग
नहीं जलते ग्रामीणों के पैर, करीब 100 वर्षों से हो रहा है। रायसेन जिले में महगवा और चंदपुरा में आयोजन होता है।
आस्था व श्रद्धा के चलते ग्रामीण धधकते हुए अंगारों के बीच से नंगे पैर निकलते है। ग्रामीणो की आस्था का आलम यह है कि नाबालिग बच्चों से लेकर महिलाएं उम्र दराज बुजुर्ग तक अंगारों पर नंगे पैर निकलते है लेकिन जलते हुए होलिका दहन के अंगारों पर निकलने के बाद भी बच्चों और महिलाओं से लेकर बुजुर्ग तक के पैर आग पर चलने के बाद भी किसी भी ग्रामीणों के पैर नहीं जलते और ना ही किसी भी गांव के व्यक्ति को कोई भी परेशानी नहीं होती है। सभी ग्रामीण बारी-बारी से आग पर से निकलते हैं। रात्रि में होलिका दहन के बाद रात्री में सिलवानी तहसील से महज 14 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत हथौड़ा के ग्राम महगवा और महज 4 किमी दूर बसे ग्राम पंचायत डुंगरिया कला के ग्राम चंदपुरा का है। ग्राम चंदपुरा में ग्रामीण पिछले दस वर्षों से आग पर से निकलते आ रहे है और ग्राम महगवा में ग्रामीण करीब सौ वर्षों से आग पर चलते आ रहे हैं। ग्राम महगवा में लगभग तीन सौ से ज्यादा मकान है जिनकी आबादी लगभग एक हजार है। यहां प्रत्येक वर्ष होलिका दहन के बाद रात्रि में ही सभी ग्रामीण धधकते हुए अंगारों के बीच से ग्राम के बच्चों से लेकर बड़े बुर्जुग व्यक्ति तक बेधड़क होकर लगभग सौ बरसों से होलिका दहन के बाद होलिका दहन के धधकते हुए अंगारों पर नंगे पैर गुजरते आ रहे है। लेकिन अंगारों केे बीच से निकालने के बाद भी किसी भी व्यक्ति या बच्चें को ना तो पैर जलते है और ना ही किसी भी ग्रामीणों को पैरों में जलन होती है बच्चों महिलाएं जलते हुए अंगारों पर ऐसे चलते हैं मानो जैसे फूलों पर चल रहे हो बेरोकटोक बिना किसी हिचक की ग्रामीण इस आस्था में बारी बारी से भाग लेकर निकलते आ रहे हैं और यह प्रथा कई वर्षों से आज भी निरंतर चालू बनी हुई है। ग्राम महगवा के चौराहे पर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना के पश्चात ग्रामीणों के सहयोग से होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन को देखने के लिए ग्राम चीचोली, चौका, धनगवा, नांदपुर, भानपुर, डुंगरिया कला, हथोड़ा सहित कई ग्रामों के ग्रामीण बड़ी संख्या में आयोजन को देखने के लिए एकत्रित होते है।
अनेकों वर्ष से हो रहा है आयोजन
ग्राम में करीब होलिका दहन के धधकते हुए अंगारों पर से नंगे पैर निकालने का सिलसिला करीब सौ वर्षो से चल हैं। क्यों और किसलिए यह जानलेवा आयोजन किया जाता है। इसकी सटीक जानकारी किसी भी ग्रामीण के पास नहीं है। लेकिन आस्था इतनी है कि पर्व के आने के कई दिन पूर्व से ही तैयारियां ग्रामीणों के द्वारा प्रारंभ कर दी जाती है बड़ी संख्या में ग्रामीण इस आयोजन में भाग लेते हैं।
नहीं आती ग्राम पर प्राकृतिक आपदा
हालांकि धधकते अंगारों पर चलने की सही जानकारी को लेकर ग्रामीण स्पष्ट रुप से कुछ भी नहीं जानकारी देते है। लेकिन ग्राम के बुजुर्ग ग्रामीण केशवसिंह, रामेश्वर, नरेन्द्र सिंह, लक्ष्मीनारायण रघुवंशी, बाबूलाल साहू, परसोत्तम रघुवंशी, हरगोविंद पटेल, शिवराज कुशवाहा, नारायण राजपूत, कोमल सिंह रघुवंशी आदि का कहना है ग्राम में कभी भी कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आती है। सुख शांति समृद्धि के लिए हमारे बुजुर्गों द्वारा सैकड़ों वर्षों से यह प्रथा चली आ रही है इसी मान्यता के चलते प्रत्येक वर्ष होली दहन के बाद यह आयोजन ग्रामीणों द्वारा किया जाता है।
इनका कहना है...
ग्राम महगवा में सैकड़ों वर्षों से जलते हुए अंगारो पर सभी बच्चे और बुजुर्ग आग पर चलते है आग पर चलने के बाद भी किसी के भी पैर नहीं जलते है ना ही किसी को कोई परेशानी होती है। यह प्रथा कई वर्षों से चली आ रही है इससे गांव में प्राकृतिक आपदा नहीं आती है
अर्जुन पटेल, ग्रामीण
ग्राम महगवा में कई वर्षों से होलिका दहन के बाद जलते हुए अंगारों पर सभी ग्रामीण निकलते हैं जिससे किसी को भी कोई तकलीफ नहीं होती है गांव में सुख शांति रहे और कोई अप्रिय घटना ना हो जिसको लेकर सभी ग्रामीण जलते हुए अंगारों पर निकलते हैं।महगवा और ग्राम चंद्रपुरा में कई वर्षों से आग पर चलने की प्रथा चली आ रही है पहले हमारे यहा सभी बुजुर्ग किया करते थे अब यह आयोजन हम सभी ग्रामीण करते आ रहे हैं। किसी भी तरह गांव में कोई दुख तकलीफ और प्राकृतिक परेशानी ना हो जिसको लेकर यह कार्यक्रम किया जाता है। इस कार्यक्रम में बच्चों से लेकर महिलाएं और बुजुर्ग तक सभी ग्रामीण जलते हुए अंगारों पर निकलते हैं जिससे उन्हें कोई भी परेशानी नहीं होती है।

न्यूज़ सोर्स : Silwani