प्रस्तावित कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू कराने के प्रयास शुरू
*प्रस्तावित कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू कराने के प्रयास शुरू*
*संशोधित प्रस्ताव वित्त विभाग में पुनर्विचार के लिए है लंबित*
Induacitynews.com
भोपाल । मध्यप्रदेश सरकार के कर्मचारियों और पेंशनर्स और उन पर आश्रित परिजनों के निशुल्क इलाज के लिए 3 साल पहले 4 जनवरी 2020 को केबिनेट से स्वीकृत कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना के क्रियाव्यन को लेकर पिछले दिनों समग्र शिक्षक संघ के प्रतिनिधमंडल की राज्य शासन के आला अधिकारियों से मुलाकात के बाद एक बार फिर कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा का मुद्दा फिर गरमा गया है|
समग्र शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री संजय तिवारी का कहना है कि मध्यप्रदेश शासन वित्त विभाग भोपाल ने अपने परिपत्र क्रमांक-125/2020/ब- 6 /चार, दिनांक 19 फरवरी 2020 के द्वारा मध्यप्रदेश शासन के समस्त विभागों को सूचित कर मंत्री परिषद के निर्णय दिनांक 4 जनवरी 2020 के अनुक्रम में राज्य शासन के समस्त विभागो के लगभग 11 लाख से अधिक कर्मचारियों/ अधिकारियों/पेंशनरों और उनके परिजनों के लिए बीमा योजना का क्रियान्वयन के करने के निर्देश प्रसारित किए थे| प्रस्तावित योजना में सामान्य बीमारी के लिए 5 लाख और गंभीर बीमारी पर 10 लाख रुपए तक के इलाज की कैशलेस सुविधा कर्मचारियों और उनके आश्रित परिजनों के लिए होगी,फिलहाल अधिकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के इलाज पर राज्य सरकार हर साल 250 करोड़ रुपए खर्च कर रही हैं। जिसमें सेवारत कर्मचारियों के इलाज के लिए लगभग 190 करोड़ और पेंशनर्स की दवाओं का खर्च 60 करोड़ है। वहीं, आम जनताके लिए सरकार हर साल इलाज पर 1000 करोड़ रुपए खर्च करती है, जबकि निजी क्षेत्र में रेफरल का खर्च 4 गुना है। प्रदेश में प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च 250 रुपए है। कर्मचारियों के मामले में सीमित बजट और प्रक्रिया की जटिलता के चलते उन्हें स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता। समग्र शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुरेशचंद्र दुबे, प्रदेश महामंत्री जेपी शुक्ला, नरेंद्र दुबे का कहना है कि महंगाई के इस दौर में यदि किसी कर्मचारी/पेंशनर को कोई गंभीर बीमारी हो जाती है,तो आजकल के महंगे इलाज में संबंधित कर्मचारी का घरवार बिक जाता है, अथवा इलाज के अभाव में संबंधित कर्मचारी या उसका परिजन कॉल कल्वित हो जाता है यदि यह योजना समय पर लागू हो जाती तो कोरोनाकाल में प्रदेश के हजारों कर्मचारियों और उनके आश्रित परिजनों का इलाज सुलभ हो जाता |संघ के प्रदेश संरक्षक मुरारीलाल सोनी का कहना हैं कि कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना कर्मचारियों और पेंशनर्स की दृष्टि से आज की सबसे बड़ी जरूरत है, आर्थिक रूप से पिछड़े निर्धन नागरिकों को तो आयुष्मान योजना के तहत शासन की ओर से सालाना 5 लाख तक के कैशलेस इलाज का लाभ मिल जाता है लेकिन राज्य शासन के कर्मचारियो अधिकारियो और पेंशनर्स को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं मिल पाता|
प्रस्ताव योजना में क्या है आखिर
प्रस्तावित योजना में कर्मचारियों व पेंशनर को बीमा के दायरे में लाने का प्रस्ताव है।इसमें कर्मचारियों जिसमें निगम मंडलों दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी भी शामिल है को सामान्य इलाज के लिए 5 लाख और गंभीर उपचार के लिए 10 लाख रुपए की सीमा होगी। बाह्य रोगियों के मामले में प्रतिवर्ष जांच व दवाओं पर 10 हजार की सीमा तय किया जाना है।कर्मचारियों के मामले में आश्रित में 25 वर्ष की आयु से कम के बच्चे व आश्रित माता-पिता शामिल हैं।
सेवारत कर्मचारियों के मामले में
संवर्ग प्रस्तावित प्रीमियम राशि
प्रथम श्रेणी अधिकारी 1000 रुपए
द्वितीय श्रेणी अधिकारी 650 रुपए
तृतीय श्रेणी। 450 रुपए
चतुर्थ श्रेणी। 250 रुपए
पेंशनर परिवारों के मामले में प्रीमियम
50 हजार रुपए से अधिक पेंशन पाने वाले 1000 रुपए
50 हजार रुपए से कम पेंशन पाने वाले 650 रुपए
25000 से कम पेंशन प्राप्त करने वाले 450 रुपए
15000 के कम वेतन पाने वाले 250 रुपए