राजनीति की भेंट चढ़ गया ऐतिहासिक नगरी का विकास Indiacitynews.com (सांची से देवेंद्र तिवारी की रिपोर्ट )
राजनीति की भेंट चढ़ गया ऐतिहासिक नगरी का विकास
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(सांची से देवेंद्र तिवारी की रिपोर्ट )
वैसे तो यह नगर एक विश्व ऐतिहासिक पर्यटक स्थल के रूप में विख्यात है इस नगर की प्रसिद्धि अनुसार विकास हो नहीं पाया । तथा नगर वासियों को विकास का खोखला ढिंढोरा ही मिल सका ।
वैसे तो यह नगर एक विश्व ऐतिहासिक पर्यटक स्थल के रूप में विख्यात है यहां देशी विदेशी पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है हालांकि इन दिनों कोरोना के चलते विदेशी पर्यटकों का आना जाना तो शून्य पर पहुंच गया परन्तु देशी पर्यटक ही इस नगर के भ्रमण पर आ पाते हैं वह भी एक सीमित संख्या में अपना कोराना गाइड लाइन का पालन करते हुए जिससे इस महामारी से बचाव हो सके । वैसे तो इस नगर की कमान नगर परिषद सम्हाले हुए हैं परन्तु इस विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल का दुर्भाग्य है कि इस विख्यात नगर की निर्वाचित परिषद का कार्यकाल पूरा हुए लगभग चार साल का लंबा वक्त गुजर गया तभी से नगर की कमान प्रशासनिक अधिकारियों के हाथों में चली आ रही है वैसे भी इस नगर की समस्याओं सहित विकास की चिंता न तो स्थानीय राजनीति करने वालों को रही न ही ऊंची राजनीति में शामिल लोगों को ही सुध लेने की सुध ही आ सकी नगर में एक दो विभाग छोड़ विकास पूरी तरह ठप्प पड़ कर रह गया । प्रशासनिक अधिकारियों पर भी राजनीति हावी हो चुकी है वैसे भी एक ही दल की सत्ता होने के कारण नेताओं कार्यकर्ताओं की अदला-बदली से पुराने सत्ता पक्ष के कर्मठ नेता कार्यकर्ताओं को हाशिए पर ला खड़ा किया है तथा नवागत नेता कार्यकर्ताओं ने अपना पूरा वर्चस्व जमा लिया है जिससे सत्ता पक्ष की अंदरूनी खींचतान भी किसी से छिपी दिखाई नहीं देती सत्ता पक्ष में शामिल होने वाले लोगों ने अपनी पैंठ प्रशासन में जमा रखी है तब प्रशासन में राजनीतिक दखलंदाजी के चलते अधिकारियों की कार्यप्रणाली भी संशय में आकर रह गई है इस राजनीति के चलते जहां नगर का विकास पूरी तरह ठप्प पड़ गया वहीं लोगों को समस्याओं से भी दो-चार होना पड़ रहा है । चाहे नगर का विकास हो अथवा नगर में स्वच्छता अभियान की उड़ती धज्जियां साफ दिखाई दे जाती है बताया तो यहां तक जाता है कि किसी जन समस्याओं को निपटाने प्रशासन प्रयास करता भी है तो छुट्टभैयो के फोन खड़खड़ाने लगते हैं ।तब एक ही सत्ता पक्षिय में नये पुराने के बीच बढ़ी खाई का खामियाजा जन-मानस को भोगने पर मजबूर होना पड़ रहा है इतना ही नहीं इस बढ़ी खाई को सोशल मीडिया पर आये दिन आसानी से दिखाई दे जाता है । कहने को तो यह नगर अपने आप में ढाई हजार साल पुरानी ऐतिहासिकता अपने में समाहित कर समेटे हुए है परन्तु ऐसे बदहाली दौर के चलते नगर के विकास का ठप्प होना कहीं न कहीं चर्चित होता रहता है नगर के विकास के लिए न तो राजनीतिज्ञ ही प्रयास कर पा रहे हैं न ही प्रशासन ही सुध लेने की जहमत उठाई पा रहा है लोगों को समस्याओं से जूझते आसानी से दिखाई दे जाते हैं तब लोगों के पास सिवाय शासन प्रशासन को कोसने के अलावा कोई और चारा नहीं रह गया है ।