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बाड़ी। बाड़ीकलाँ जो विंध्याचल पर्वत की तलहटी में बसा हैं और सरकार के कागजों में यह सिंघोरी अभ्यारण्य हैं इसमें कई तरह के हिंसक जीवों के साथ ही दुर्लभ पशु-पक्षियों का बसेरा हैं । लेकिन दो दशकों में वन विभाग की उदासीनता के चलते बियाबान जंगल आज रेगिस्तान की शक्ल में नजर आ रहे हैं ।
बारना जलाशय व हाईवे बना हिंसक जानवरों के लिए मौत का घर ।
सिंघोरी अभ्यारण्य से निकलने बाले फोरलेन हाईवे के निर्माण के समय भी गर्भवती मादा वाघनी की मौत की जांच आज भी कागजों में दफन हो चुकी बताया जा रहा था कि मादा वाघनी के सिर पर चोट या तो डम्फर के टकराने से आई थी या उसे मार दिया गया । इस तरफ बारना जलाशय का चालीस फीसदी हिस्सा वन विभाग के क्षेत्र में आता हैं और मछली शिकारी इस प्रतिबंधित क्षेत्र पर कब्जा जमा चुके हैं जिससे जंगली जानवर अब वस्तियों की तरफ रुख अपनाते हैं । चार माह पूर्व में भी तेदुआ ने आदिवासी आश्रम के पास डेरा डाला और बस्तियों में रात के समय गायों का शिकार किया जनता रात रात भर जाग कर अपनी व अपने पशुओं की रखवाली करती रही और वन विभाग चैन की नींद सोता रहा । यह हिंसक जानवर कभी भी जनहानि व पशुहानि कर सकता हैं । रात में लोगों ने फटाके फोड़कर फिलहाल तो भगा दिया लेकिन इसकी मौजूदगी का डर बैठ गया।
इस संबन्ध में सिंघोरी अभ्यारण अधीक्षक मयंकराज सिंह वन विभाग बाड़ी का कहना कि वस्ती जंगल से लगी हुई है और मरे मवेशियों को जंगल में फैंकने से उसकी बदबू से जानवर आ जाते हैं। हमने रात में ही मौके पर जाकर उसे जंगल की तरफ भगा दिया ।

न्यूज़ सोर्स : Icn