मां छोले वाली मैया के दरबार में लगे टेसू के फूल लोगो को लुभा रहे
India city news.com
सतीश मैथिल सांचेत
प्रकृति : फागुन माह में खिले टेसू और तिनसा के फूल कर रहे आकर्षित
गर्मियों के साथ पतझड़ की शुरुआत हो गई है। वहीं मुरझाए हुए पेड़ों के बीच सुर्ख रंग के फूल मन को सुकून देने का काम करते हैं। यह फूल दिखने में जितने खूबसूरत होते हैं, वहीं इनका प्रयोग औषधी व रंग बनाने में होता है। हम बात कर रहे हैं टेसू के फूलों की। इनकी खासियत है कि वसंत में जहां इसके फूल हर ओर छाए रहते हैं। वहीं होली के खत्म होने के बाद इनके फूल उतरने लगते हैं। मुख्य रूप में इनका उपयोग जहां गुलाल व अबीर बनाने के लिए करते हैं, वहीं टेसू के फूलों का उपयोग लोगों के लिए औषधी के रूप में होता है। ग्रामीणों में टेसू के पत्तों का उपयोग पत्तल व दोनों तक ही सीमित रहा है। सुर्ख लाल होने के कारण इन फूलों को जंगल की आग भी कहते हैं। फूल को उबालने से एक प्रकार का लाल व पीला रंग निकलता है जो होली के लिए प्रयोग किया जाता है। फूलों की बची हुई चीजों से अबीर बनता है। ब्यूटी कॉस्मेटिक्स में टेसू के चूर्ण का उपयोग बढ़ा है।
तिनसा के फूलों की भी बहार - टेसू के साथ ही पहाड़ी क्षेत्र में तिनसा के फूलों की भी बहार आई है। सफेद रंग के फूल आकर्षक लगते हैं। तिनसा के पेड़ की खासियत है कि इसके पेड़ की लकड़ी बहुत मजबूत होती है। पहले किसान हल बक्खर आदि में इसी पेड़ की लकड़ी का उपयोग करते थे। मां छोले वाली मैया खंडेरा मंदिर के पुजारी पंडित ओम प्रकाश दुबे ने बताया कि तिनसा के पेड़ जंगल में ही दिखते हैं। खंडेरा वन क्षेत्र के टेमला में 100 से अधिक संख्या में तिनसा के पेड़ देखे जा सकते हैं।