सोशल मीडिया पर पीछा करना भी इलेक्ट्रॉनिक अपराध की श्रेणी में - ADJश्रीमती यादव
बच्चों को उनकी सुरक्षा हेतु बनाए गए कानूनों, अधिकारों की दी गई जानकारी
समेकित बाल संरक्षण योजना के तहत प्रशिक्षण सह कार्यशाला सम्पन्न

 

(राजकिशोर सोनी)
India city news.com
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा रायसेन वन परिसर में आयोजित समेकित बाल संरक्षण योजना के अंतर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती अनीता किरार तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती संगीता यादव द्वारा मॉ सरस्वती पूजन और दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया गया। प्रशिक्षण सह कार्यशाला में महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री दीपक संकत, सहायक संचालक श्री संजय गहरवाल, जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष श्री अतुल दुबे सहित अन्य अधिकारी, महिलाएं और बालिकाएं उपस्थित रहीं।
इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती संगीता यादव ने कहा कि बाल अपराधों को रोकने के लिए बालक-बालिकाओं को उनके अधिकारों, उनकी सुरक्षा के लिए बनाए गए कानूनों की जानकारी होना जरूरी है। जनजागरूकता लाकर बाल अपराधों को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि समाज में आज भी कई कुरीतियां हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है। कहीं-कहीं तो अभी भी बालिकाओं को गर्भ में ही मारने का जघन्य अपराध किया जा रहा है। बालिकाओं को बेटों से कम समझा जाता है, उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया जाता। हम सभी को मिलकर इन कुरीतियों को खत्म करना है। उन्होंने कहा कि इन कुरीतियों को खत्म करने के लिए कानून भी बनाए गए हैं जिनका लोगों को ज्ञान होना जरूरी है। श्रीमती यादव ने उपस्थित बालिकाओं और महिलाओं से कहा कि अपने परिवार, आस-पड़ोस और परिचितों को समझाएं कि बेटा-बेटी एक समान हैं। कई क्षेत्रों में बेटियां, बेटों से बढ़कर काम कर अपना, माता-पिता और जिले का नाम रोशन कर रही हैं।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती यादव ने बताया कि कोई भी पुरूष या महिला, यह जानने के लिए गर्भवती महिला का परीक्षण नहीं करा सकती कि गर्भ में बालक है या बालिका। जो भी यह परीक्षण कराता है तथा इस कृत्य में शामिल होता है तो उसे तीन साल की सजा और जुर्माने से दण्डित किए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा परीक्षण करने वाली पैथॉलाजी में काम करने वाले चिकित्सक, नर्स तथा अन्य कर्मचारियों को भी सजा का प्रावधान है। सभी को नैतिक और न्यायिक आधार पर इन कुरीतियों से बचना होगा। उन्होंने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कई जगह 18 साल से कम आयु की बालिकाओं के साथ-साथ बालकों का भी लैंगिक शोषण और अपराध होता है। इनको रोकने के लिए जरूरी है कि बालक-बालिकाओं को उनकी सुरक्षा के लिए बनाए गए नियमों, कानूनों की पूरी जानकारी हो। उन्होंने बाल संरक्षण के लिए बनाए गए अन्य कानूनों और उसमें सजा के प्र्रावधान के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी।

बाल अपराधों को रोकने जागरूकता और अधिकारों की जानकारी होना जरूरी

प्रशिक्षण में महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री दीपक संकत ने कहा कि बाल अपराधों को रोकने के लिए जागरूकता और अधिकारों की जानकारी होना जरूरी है जिससे कि बालक-बालिकाएं स्वयं को सुरक्षित महसूस करें। इसके लिए शासन द्वारा विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम, गतिविधियां संचालित की जा रही है। उन्होंने उपस्थित बालिकाओं से कहा कि वे अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसे प्राप्त करने के लिए पूरी लगन और मेहनत से प्रयास करें। बाल अपराध एवं साइबर अपराध रोकने के लिए लगातार जागरूकता के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे कि बालिकाएं अपने लक्ष्य से न भटकें व उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
उन्होंने समेकित बाल संरक्षण योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि समेकित बाल संरक्षण योजना अंतर्गत 18 वर्ष तक के कठिन परिस्थतियों में रहने वाले देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले तथा विधि विवादित बच्चों को संरक्षण, सहायता एवं पुनर्वास प्रदान किया जाता है। योजना के तहत निराश्रित, बेसहारा, गुमशुदा, भीख मांगने वाले, सड़क पर निवास करने वाले, सड़क पर कचरा बीनने वाले, विधि विवादित तथा देखरेख एवं संरक्षण के जरूरतमंद बालक/बालिकाओं को आश्रय सुविधा, परामर्श, पोषण, शिक्षण, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य एवं पुनर्वास की व्यवस्था की जाती है।

कार्यक्रम में सहायक संचालक श्री संजय गहरवाल ने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 एवं आदर्श नियम 2016 सहित अन्य अधिकारों एवं कानूनों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि समेकित बाल संरक्षण योजना में दो श्रेणियों के बच्चों को शामिल किया गया है। पहली श्रेणी में देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे और द्वितीय श्रेणती में विधि विवादित किशोर शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यदि कोई कुछ गलत करता है तो अपने माता-पिता या बड़ों को बताएं। इसके अलावा मदद के लिए तत्काल चाइल्ड लाइन 1098 या डायल 100 को कॉल कर सकते हैं।
श्री गहरवाल ने पालन पोषण देखरेख योजना, स्पॉसरशिप योजना, दत्तक ग्रहण, पॉस्को एक्ट के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने उपस्थित बालक-बालिकाओं से कहा कि यदि किसी देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे के बारे पता चलता है तो वह आंगनवाड़ी, बाल विकास परियोजना कार्यालय, महिला बाल विकास कार्यालय, चाइल्ड लाइन कार्यालय या हेल्पलाइन नम्बर 1098, बाल कल्याण समिति/किशोर न्याय बोर्ड कार्यालय को सूचित कर ऐसे बच्चों को संरक्षण में अपना अमूल्य योगदान दें।
प्रशिक्षण सह कार्यशाला में रायसेन सायबर सेल के श्री विवेक सिंह ने बालिकाओं को सायबर अपराध और उससे बचाव, इंटरनेट के सुरक्षित उपयोग के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में कई बच्चे र्स्माट फोन और कम्प्यूटर के माध्यम से इंटरनेट और फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप सहित अन्य सोशल साईटस का उपयोग करते हैं। अपनी जानकारी किसी अनजान व्यक्ति के साथ शेयर नहीं करनी चाहिए। इंटरनेट से प्राप्त जानकारी हमेशा सही हो, ऐसा नहीं है। इसमें सावधानी बरतकर हम इंटरनेट के उपयोग के दौरान होने वाली धोखाधड़ी से बच सकते हैं।  

न्यूज़ सोर्स : Pro