लोग आज भी मीडिया पर सबसे ज्यादा यकीन करते हैं: अमृत मीना - शहर में ब्रम्हाकुमारिज संस्था का एक दिवसीय मीडिया सेमिनार सम्पन्न
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रायसेन। ब्रम्हाकुमारिज संस्था द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर कार्यक्रम में मीडिया प्रभाग में पहला आयोजन वार्ड 13 के विश्वकर्मा भवन में हुआ। संगोष्ठी में शहर के विभिन्न पत्रकार शामिल हुए। समापन सत्र में रीना बहन जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत में मीडिया का योगदान हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। देश की आजादी से लेकर अब तक हमने कोरोना काल में मीडिया की सकारात्मक भूमिका को देखा है।
सेमिनार में मुख्यअतिथि के रूप में एडिशनल एसपी अमृत मीना शामिल हुए। इस दौरान श्री मीना ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रजापिता ब्रम्हाकुमारिज आश्रम से मेरा नाता करीब 11 साल पुराना है। जब मैं होशंगाबाद में पदस्थ था तब एक आयोजन में पहली बार शामिल हुए तब से अब तक जुड़ाव बना हुआ है। अंकुश की आवश्यकता आज हर क्षेत्र में महसूस हो रही है क्योंकि फ्रीडम जितनी बढ़ती है कई बार नैतिक मूल्यों की गिरावट भी उतना ही नजर आता है। आज भी जनता का भरोसा मीडिया पर हद से ज्यादा है लोग समाचार पत्रों में छपी खबरों पर भरोसा करते हैं। मीडिया से छपने और दिखने वाली खबरों से समाज में माहौल बनता है लोगों में राय बनती है मैं मानता हूं कि मीडियाकर्मियों के सामने कई बार बड़ी समस्या होती है जब वे ऐसी खबरों पर काम कर रहे होते हैं जिनसे समाज में गलत संदेश जाने से बचाने और अपनी नौकरी भी करने की चुनौती सामने होती है।
वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर सोनी ने कहा कि पत्रकारिता के विभिन्न दौर आये हैं। बहुत परेशानियों के बीच में सीमित संसाधनो के साथ काम किया जाता था अब टेक्नोलॉजी में बहुत बदलाव आकर इसका स्वरूप भी व्यापक हुआ है। मीडिया में रहकर परिवार के जीविकोपार्जन के लिए व्यक्ति को व्यावसायिक गतिविधियों से भी जुड़े रहना पड़ता है।
वरिष्ठ पत्रकार हरीश मिश्र ने कहा कि एक अच्छा आयोजन ब्रम्हाकुमारिज संस्था द्वारा किया गया। सरकार और प्रशासन को तकलीफ दे देने वाली खबरें जब तक नकारात्मक मानी जायेगी तब तक पत्रकारों को नकारात्मक माना जाता है। श्री मिश्र ने कहा कि मूल्य आधारित पत्रकारिता होना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार विजय राठौर ने संगोष्ठी आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि समाधान परक पत्रकारिता अपने आप में एक बड़ा विषय है। उपलब्धि और कमियों पर जब पत्रकार विचार करेंगें तो निश्चित रूप से आत्ममूल्यांकन के साथ सुधार भी होगा। वरिष्ठ पत्रकार अनिल सक्सेना ने कहा कि पत्रकारिता का दौर बहुत बदल गया है विभिन्न संस्थाओं में काम करने वाले पत्रकारों को वेतन आदि की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।