ब्रिटेन के रीडिंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का दावा है कि जलवायु बदलाव की वजह से हवाई जहाज ज्यादा हिचकोले खाने लगे हैं। अध्येताओं के मुताबिक वायुमंडल में जिस ऊंचाई पर ज्यादातर विमान उड़ते हैं, वहां बीते चार दशक से टर्ब्युलेंस में लगातार वृद्धि हो रही है। खासतौर पर यह व्यवधान साफ आसमान में बढ़ गया है, जिसे क्लीन एयर टर्ब्युलेंस कहा जाता है, जो हवाई जहाजों के लिए खराब मौसम के बजाय ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है।

जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में प्रकाशित शोधपत्र के मुताबिक दुनिया के सबसे व्यस्त उत्तरी अटलांटिक हवाई मार्ग पर एक खास बिंदु पर 1979 में सालाना गंभीर टर्ब्युलेंस 17.7 घंटे दर्ज किया गया था, जो 2020 में 55 फीसदी बढ़कर 27.4 घंटे पहुंच गया है। इस दौरान मध्यम टर्ब्युलेंस 70.0 घंटे से 37 फीसदी बढ़कर 96.1 फीसदी हो गया है। इसके अलावा हल्के टर्ब्युलेंस 466.5 घंटे से 17 फीसदी बढ़कर 546.8 घंटे तक बढ़ गया है। 

अमेरिका के टेक्सास स्थित खाड़ी तट क्षेत्र में हजारों-लाखों मछलियां मर कर समुद्र से किनारों पर आ गईं। इसका कारण समुद्री पानी का गर्म होना और इस वजह से ऑक्सीजन स्तर का घटना है। मृत हुई मछलियां समुद्र सतह पर नजर आ रही हैं। यहां के ब्राजोरिया काउंटी के प्रशासन के अनुसार मछलियों को सड़ने से पहले किनारों से हटाया जा रहा है ताकि बदबू न फैले। माना जा  रहा है कि किनारों पर सफाई अभियान लंबे समय चलाना पड़ सकता है।

अमेरिका के फ्लोरिडा में एक प्रोफेसर जोसेफ डिटरी ने लगातार 100 दिन तक पानी में रहने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। बाहर आने के बाद जब उनकी लंबाई नापी गई तो पता चला कि उनका शरीर सिकुड़ चुका है। तकरीबन आधे इंच तक उनकी लंबाई कम हो गई थी। बता दें कि 55 वर्षीय प्रोफेसर ने इससे पहले का 73 दिनों तक पानी के नीचे रहने का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है। फ्लोरिडा के रहने वाले प्रोफेसर डिटरी ने 2014 में बने 73 दिनों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। वह फ्लोरिडा के लार्गो सिटी में मौजूद समुद्र 30 फुट की गहराई में रहे। प्रोफेसर डिटरी पानी के नीचे के जीवन संबंधित रिसर्च कर रहे थे। वह दक्षिण फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे।