मनी लॉन्ड्रिंग रोकने वाले कानून का दायरा बढ़ाने के वित्त मंत्रालय के हालिया अधिसूचना से कारोबारी सुगमता और विदेशी निवेश पर विपरीत असर पड़ सकता है। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (सीए) ने यह आशंका जताई है और वित्त मंत्रालय से इस पर स्पष्टीकरण मांगा है।उद्योग सूत्रों का कहना है कि ऐसा कोई तरीका नहीं है, जिससे एक अकाउंटेंट यह जान सके कि एक निवेशक भारत में जो पैसा ला रहा है, वह वैध है या मनी लॉन्ड्रिंग का पैसा है। वे इसके स्रोत को सत्यापित नहीं कर सकते हैं।

दरअसल, वित्त मंत्रालय ने हाल ही में धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के दायरे को सख्त और विस्तारित किया है। सरकार के इस कदम से चार्टर्ड अकाउंटेंट, लागत लेखाकार और कंपनी सचिव (सीएस) भी पीएमएलए के दायरे में आ गए हैं। सीए और सीएस अक्सर भारत में कारोबार शुरू करने वाली विदेशी कंपनियों के लिए एजेंट के रूप में काम करते हैं।आमतौर पर शुरुआत में पत्राचार के लिए अपना पता देते हैं। उद्योग सूत्रों के मुताबिक, सीए और सीएस देश में उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रही विदेशी कंपनी के निवासी निदेशकों के रूप में भी कार्य करते हैं। अपने ग्राहकों की ओर से बैंक खाते भी संचालित करते हैं।