भोपाल । मप्र में भाजपा अभी तक 79 प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है। आज शेष 151 नामों पर चर्चा होगी। इस बार पार्टी केवल जिताऊ प्रत्याशियों को ही टिकट देगी। ऐसे में कुछ उम्रदराज तो कुछ खराब परफॉर्मेंस वाले विधायक खुद अपनी दावेदारी छोड़ेंगे। गौरतलब है कि प्रदेश की खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव नहीं लडऩे की मंशा जाहिर करते हुए संगठन को पत्र लिखा है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि सरकार के कुछ और मंत्री तथा विधायक इसी तरह से पत्र लिखकर संगठन में काम करने की मंशा जताएंगे।  शिवपुरी से विधायक यशोधरा राजे सिंधिया ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अगला विधानसभा चुनाव नहीं लडऩे की बात कही है। प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने भी स्वीकार किया है कि यशोधरा राजे सिंधिया अपने स्वास्थ्य कारणों की वजह से अगला चुनाव नहीं लडऩे की बात कर चुकी हैं। लेकिन राजनीति के जानकार इसे गले से नहीं उतार पा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि स्वास्थ्य कारण होता और उन्हें चिकित्सकों ने आराम करने की सलाह दी है ( जैसा कि विष्णुदत्त शर्मा ने बताया) तो यशोधरा राजे सिंधिया मंत्री पद से पहले ही इस्तीफा देती, वे चुनाव का इंतजार नहीं करतीं।
जानकारों का कहना है कि भाजपा इस बार खराब परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों और विधायकों को पहले ही बता चुकी है कि उनकी स्थिति ठीक नहीं है। सूत्रों का कहना है कि गुजरात पैटर्न पर मप्र में भी आने वाले कुछ दिनों में कुछ और मंत्री अलग-अलग कारणों से चुनाव नहीं लडऩे की बात कहेंगे और संगठन उन्हें दूसरी बड़ी जिम्मेदारी देकर मैदान में उतार सकता है। जानकारों की मानें तो इन मंत्रियों को पार्टी आलाकमान ने गुजरात की तरह नई जिम्मेदारी देने की बात कर उन्हें चुनावी मैदान से हटने को कहा है। बताया गया है कि इनमें कैबिनेट मंत्री बिसाहूलाल सिंह, प्रेमसिंह पटेल, ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह, राज्यमंत्री रामखिलावन पटेल, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) इंदर सिंह परमार के नाम चर्चा में हैं। हांलाकि इनमें से कुछ मंत्रियों के क्षेत्र भी बदले जा सकते हैं, तो कुछ को अगले वर्ष लोकसभा चुनाव के मैदान में उतारा जा सकता है। वहीं प्रदेश में ऐसे 7 विधायक है, जो 6 बार से लगातार चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं। इनमें वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का नाम भी लाल घेरे में बताया जा रहा है। 6 बार से जीतने वाले पारस जैन और गोपीलाल जाटव पर भी अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है। पांच बार के विधायकों की संख्या 7 है। इनमें मंत्री प्रेम सिंह पटेल और विधायक नागेन्द्र सिंह के भी टिकट लाल घेरे में बताए जा रहे हैं। 4 बार के भाजपा विधायकों की संख्या 14 है। इनमें अजय विश्नोई और महेन्द्र हार्डिया को लेकर पार्टी असमंजस्य में है। इनके अलावा 3 बार के 28 विधायक, 2 बार के 36 और पहली बार के 30 विधायकों में भी कईयों के टिकट काटे जा सकते हैं।
भाजपा सूत्रों का कहना है की तमाम सर्वे में कई मंत्रियों के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी पाई गई है। इसके मद्देनजर आलाकमान प्रदेश सरकार के करीब 10 मंत्रियों के टिकट काटने की तैयारी में है। विगत दिवस प्रदेश सरकार की मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने अपने स्वास्थ का जिक्र करते हुए सोशल मीडिया पर कहा था कि वे अब चुनाव नहीं लडऩा चाहती। वहीं प्रदेश सरकार के कुछ मंत्री ऐसे हैं जिनको पार्टी चुनावीरण में उतारने के मूड में नहीं है। इसके पीछे जो कारण बताए जा रहे हैं उनमें सबसे प्रमुख इन मंत्रियों की सर्वे रिपार्ट में हालत खराब बताई गई है। वहीं कुछ का मंत्री पद पर रहते हुए परफार्मेस सही नहीं है। तो कुछ की उम्र का हवाला दिया जा रहा है। जिन मंत्रियों के टिकट कट सकते हैं उसमें करीब आधा दर्जन राज्यमंत्री हैं तो चार कैबिनेट मंत्री हैं। कैबिनेट मंत्रियों मे कुछ ऐसे हैं जो अपने परिजनों के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं तो कुछ के प्रति जनता में नाराजगी है। जिनके टिकट कट सकते हैं उसमें छह राज्य स्तर के साथ ही चार कैबिनेट स्तर के मंत्री भी शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व मध्यप्रदेश में गुजरात फार्मूले के आधार पर अपने प्रत्याशियों का चयन कर रही है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व द्वारा कराए गए सर्वे में कई मंत्रियों सहित तकरीबन 60 विधायकों की स्थिति चिंताजनक है। ऐसे में भाजपा की चौथी सूची चौंकाने वाली हो सकती है। इस सूची में मंत्रियों और मौजूदा विधायकों के नामों पर फैसला होगा। भाजपा सूत्रों के अनुसार इसमें पार्टी गुजरात फार्मूले पर दर्जनभर मंत्रियों सहित 60 मौजूदा विधायकों के टिकट काट सकती है। भाजपा सूत्रों के अनुसार भाजपा हाईकमान को आधा मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार संबंधी तमाम शिकायतें मिली हैं। जिसकी वजह से जनता के बीच पार्टी और सरकार दोनों की छवि खराब हुई है। भाजपा हाईकमान को डर है कि यदि इन मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में उतारा गया, तो पार्टी का बड़ा नुकसान हो सकता है। इसके अलावा इन मंत्रियों की कार्यशैली को लेकर कार्यकर्ता पार्टी हाईकमान को लगातार शिकायतें पहुंचाते रहे हैं।
कुछ दिन पहले कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने भाजपा का दामन छोडक़र कांग्रेस का हाथ थामा था। चर्चा यह है कि उन्हें डर था कि यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी के बजाय उनकी सीट से टिकट मांग रही है। इस वजह से उन्होंने अपनी सीट बचाने के लिए पार्टी ही बदल ली। हालांकि, अब यशोधरा के चुनाव लडऩे पर संशय है। खराब स्वास्थ्य की वजह से उन्होंने चुनाव लडऩे में असमर्थता जताई है। अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के भी शिवपुरी से चुनाव लडऩे की अटकलें लगाई जा रही हैं।