भोपाल । प्रदेश के मंदसौर में तोते अफीम खा रहे हैं। फसल में नुकसान होने से किसान परेशान हैं। किसानों को अफीम की फसल बचाने के लिए चोरों और नशेडिय़ों से ज्यादा तोतों से सतर्क रहना पड़ रहा है। क्योंकि जहां अफीम की खेती होती है, वहां आसपास तोते ज्यादा हैं, इसलिए वह थोड़ा-थोड़ा अफीम खाते हुए इसके आदी से हो गए हैं। इसके अलावा, नीलगाय भी किसानों को परेशान कर रही हैं।
इन दिनों मंदसौर में अफीम की फसल शबाब पर है। अफीम के डोडा पर लुआई चिराई का काम किया जा रहा है। किसान दिनभर खेतों में काम कर के अफीम की औसत देने में जुटे हैं, लेकिन इन दिनों किसानों के लिए बड़ी मुसीबत तोते और नीलगाय बन रहे हैं। किसानों ने खेत के आसपास लोहे के तार और जालियां बांध दी हैं। नशे के आदी हो चुके तोते जाली भी तोड़ देते हैं।

खेत के ऊपर लगाए जाल, फिर भी रखते हैं नजर
किसान कमल कुमार का कहना है कि कई साल से अफीम की खेती कर रहा हूं। तोते हमारी समस्या बन गए हैं। दरअसल, खेतों के पास ज्यादा तोते हैं। यहां के तोते थोड़ा-थोड़ा अफीम खाने से इसके आदी हो गए हैं। तोते कुछ सेकंडों में ही अफीम का डोडा काट कर उड़ जाते हैं। हमने उनसे बचने के लिए फसल के ऊपर जालियां लगाई हैं। मान लीजिए, अगर हम थोड़ी देर के लिए खेत से बाहर चले जाते हैं तो ढेरों तोते खेत से कई डोडे चट कर जाते हैं। इसके अलावा, नीलगाय से बचने के लिए खेत के आसपास लोहे की जलियां और पुराने कपड़े बांधे हैं। परिवार भी खेतों की निगरानी करता रहता है। जिस किसान ने खेत के ऊपर जाल नहीं लगाया है, वे किसान ज्यादा परेशान हैं। किसान विनोद पाटीदार ने बताया कि किसान पशु-पक्षियों से अफीम जैसी नशीली और नाजुक फसल को बचाने के लिए कई उपाय करते हैं। अफीम की फसल के आसपास साडिय़ां और तार बांधने के साथ-साथ सफेद नेट वाली जालियां भी लगा रखी हैं। रात में खेतों में ध्वनि यंत्र बजाते हैं। अलग-अलग रंगों की एलईडी लाइट भी चमकाते हैं। आसपास के खेतों में अन्य फसल भी हैं, लेकिन तोते सिर्फ अफीम पर ही अटैक करते हैं। अफीम की खेती बहुत छोटी जगह में की जाती है, जबकि इसके आसपास बड़े पैमाने पर अन्य फसलें होती है। अन्य ग्रामीण अंजनी सिंह का कहना है कि जब नीलगाय अफीम खा लेती हैं तो वह और अधिक हिंसक हो जाते हैं। इसके बाद कई बार उन्होंने लोगों पर हमले भी किए हैं।

अफीम का नशा नर्वस सिस्टम पर करता है असर
अफीम पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिक वसंत कुमार पंचोली भी मानते है कि इलाके में तोते नशेड़ी हो गए हैं। उनका कहना है कि अफीम नशीला और मादक पदार्थ है। तोते जब अफीम के डोडे खाते हैं, तो जाहिर है कि अफीम में मौजूद नशीले पदार्थ के चलते इनके नर्वस सिस्टम पर असर डालते हैं। जिस वजह से तोतों को इसकी लत लग जाती है। वन विभाग भी तोतों के नशेड़ी होने की बात मानता है, लेकिन अफीम को तोतों से बचाने और तोतों को नशे की लत से निजात दिलाने का विभाग के पास उपाय नहीं है।