सरकार ने हाउसिंग बोर्ड और विकास प्राधिकरण से मांगे सुझाव


भोपाल । मध्य प्रदेश में हाउसिंग बोर्ड एवं नगरीय निकायों के पास अरबों रुपए की ऐसी संपत्ति है। जिसे 10 साल से बेचने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन अभी तक वह संपत्तियां बिकी नहीं है। सरकार के पास जो जानकारी है। उसके अनुसार हाउसिंग बोर्ड और प्राधिकरण में लगभग 15 हजार करोड रुपए की संपत्ति बिना बिके जर्जर हो रही है। उस पर अवैध कब्जे भी हो रहे हैं। 
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने नीति निर्धारण के लिए मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड और विभिन्न विकास प्राधिकरण से जानकारी और सुझाव मांगे हैं। 10 साल से अधिक ऐसे प्रोजेक्ट जो बिना बिके हुए पड़े हैं। उन्हें वर्तमान कीमत की तुलना में 50 फ़ीसदी की रियायत देकर संपत्ति को बेचने के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं। जो संपत्तियां पिछले 10 सालों से नहीं बिकी हैं। वह जर्जर हो चुकी हैं। ऐसी स्थिति में सरकार का मानना है कि उसकी कीमत कम करके संपत्तियों को बेचा जाए। 

नई नीति का प्रस्ताव
नगरीय आवास और विकास विभाग द्वारा जो प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। उसमें निर्माण के समय गाइड लाइन के अनुसार जमीन की कीमत,निर्माण के समय की एसओआर लागत, निर्माण लागत के अनुसार वास्तविक कीमत का पता लगाया जाएगा। संपत्ति के रखरखाव और देखरेख में कितनी राशि खर्च की गई है। वर्तमान कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से जमीन की कीमत को आधार बनाकर, 50 फ़ीसदी रियायती दामों पर सेल लगाने की तैयारी सरकार कर रही है। हाउसिंग बोर्ड और प्राधिकरण की जो संपत्तियां पिछले 10 साल से नहीं बिक रही हैं। सेल लगाकर उन्हें बेचा जाएगा।