नई दिल्ली । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को एक कार्यक्रम में शिरकत कर दावा किया कि बीजेपी विधानसभा में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि मैं कांग्रेस के नेताओं को चैलेंज करना चाहता हूं कि आपके समय में सरकारों ने राज्य को कितना पैसा दिया था और हमारी सरकार के समय कितना पैसा दिया गया। पुराने किस्से का जिक्र कर केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा, हम राजीव गांधी की तरह नहीं है, जब एयरपोर्ट पर वीरेंद्र पाटिल को बदल दिया था कि कल से पाटिल मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे, ऐसा हम नहीं कर सकते हैं। 
शाह ने कहा, कांग्रेस अगर ये मानती है कि वहां शेट्टार जी के वहां जानने से जीतती है, तब कांग्रेस स्वीकार करती है कि वहां अकेले जीतने की स्थिति में नहीं है। हमारा कोई वोट बैंक कहीं नहीं गया है, भाजपा एकजुट है और पूरी बहुमत से सरकार बनाएगी। पार्टी जब कठोर फैसले लेती है, तब कई बार नेता उस स्वीकार करती है और कई नेता चले जाते हैं। पीएफआई के मुद्दे का जिक्र कर शाह ने कहा, जिस प्रकार पीएफआई की वजह से यहां हिंसा हो रही थी, हमारे कार्यकर्ता की हत्या हो गई थी। हमारी सरकार ने कठोरता दिखाई इसका परिणाम भी दिखा और लोग अब सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
शाह ने जिसे किस्से का जिक्र किया हम उसके बारे में बताते हैं। दरअसल, राममंदिर आंदोलन के दौरान कांग्रेस की कमान राजीव गांधी के हाथों में थी, तब कर्नाटक की सत्ता पर वीरेंद्र पाटिल काबिज थे। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी राममंदिर के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक के लिए राम रथ यात्रा कर रहे थे। रथ यात्रा के शुरू हुए एक सप्ताह गुजरा था कि कर्नाटक सांप्रदायिक दंगे की चपेट में आ चुका था। 
तीन अक्टूबर 1990 को कर्नाटक के दावणगेरे के मुस्लिम बहुल इलाके में हिंदु समुदाय के लोगों ने एक शोभा यात्रा निकाली थी, जिसके चलते सांप्रदायिक दंगा भड़क उठा था। उसी वक्त चन्नापटना क्षेत्र में एक मुस्लिम लड़की को हिंदू लड़कों ने छेड़ दिया, जिसने आग में घी डालने का काम किया और दोनों समुदाय के बीच तलवारें खिंच गई थीं। दंगे में दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी। कांग्रेस पर राजनीतिक दबाव बढ़ गया था। हालांकि, तत्कालीन सीएम पाटिल को कुछ दिनों पहले ही दिल का दौरा पड़ा था, जिसके चलते वहां बिस्तर पर थे। 
कर्नाटक में उस समय कांग्रेस के सबसे बड़े मुस्लिम नेता सीके जाफर शरीफ थे, जो कर्नाटक के दंगे को लेकर कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बना रहे थे। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राजीव गांधी सियासी डैमेज कंट्रोल के लिए कर्नाटक का दौरा करने के लिए पहुंचे और उनके साथ सीके जाफर शरीफ भी। कांग्रेस नेता एमबी पाटिल ने अंग्रेजी समाचार पत्र से बातचीत में बताया कि शरीफ उस वक्त राजीव गांधी के साथ थे और उन्होंने यह साफ तौर पर कहा था कि राज्य को उस व्यक्ति पर नहीं छोड़ा जा सकता जो अस्वस्थ हो। 
इसके राजीव गांधी ने बेंगलुरु एयरपोर्ट पर पहुंचते ही पाटिल को मुख्यमंत्री पद से हटाने का ऐलान कर दिया। पाटिल लिंगायत समुदाय के बड़े नेता थे। इसके बाद उनकी बर्खास्तगी को विपक्षी दलों ने लिंगायत समुदाय के अपमान की तौर पर प्रचारित किया गया। हालांकि, पाटिल को हटाने के पीछे कांग्रेस कांग्रेस तर्क देती रही है कि उनके खराब स्वास्थ्य की वजह से उन्हें आराम देने के लिए ही पद से हटाया गया था, तब दूसरी ओर कहा गया कि पाटिल के बीमार होने के बावजूद राजीव गांधी ने लिंगायत नेता से मिलना मुनासिब नहीं समझा। 
साल 1989 में जब राजीव गांधी ने केंद्र में सत्ता खो दी थी, तब पाटिल ने कर्नाटक में जनता दल के रामकृष्ण हेगड़े और जनता पार्टी के एचडी देवगौड़ा दोनों को हराकर पार्टी को बड़ी जीत दिलाई थी। हेगड़े लिंगायतों के सबसे बड़े नेता थे, लेकिन वीरेंद्र पाटिल के चलते लिंगायत समुदाय ने कांग्रेस को एकमुश्त वोट दिया था।