जबलपुर की एक युवती ने दमोह के एक दृष्टिहीन युवक से शादी कर मिसाल पेश की है। दमोह निवासी नारायण प्रसाद दुबे जन्म से ही दृष्टिहीन हैं, लेकिन अपनी मेहनत और लग्न की बदौलत वे किसी से पीछे नहीं है। दृष्टिहीन होने के बावजूद नारायण ने अपनी मेहनत की बदौलत रेलवे में कलर्क की नौकरी हासिल की है। बाकी लोगों की तरह नारायण भी शादी कर अपना घर बसाना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने कई मंदिरों में मन्न्त भी मांगी थी, आखिरकार भगवान ने उनकी सुनी और जबलपुर की रहने वाली दिशा दुबे ने नारायण का हाथ थामने का फैसला किया। सोमवार को दिशा और नारायण की पूरे रीति रिवाजों के साथ शादी हुई।  

नारायण के परिजनों का कहना है कि जबलपुर के दुबे परिवार से नारायण की शादी को लेकर रिश्ता आया और 21 मई को शादी तय हो गई। नारायण प्रसाद ने जबलपुर के अंध मूक विद्यालय से पढ़ाई पूरी की थी। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद इनकी नौकरी रेलवे में क्लर्क के पद लगी। पहली पदस्थापना नागपुर में हुई थी। जहां लगभग तीन वर्ष रहे। इसके बाद स्थानांतरण दमोह रेलवे स्टेशन पर हुआ। दिशा के पिता बैजनाथ दुबे ने खुशी खुशी अपनी बेटी का विवाह नारायण प्रसाद के साथ कराया है। नारायण के परिवार में मां ममता दुबे, छोटा भाई देवेंद्र, बहन रजनी, जीजा आशीष हैं।

नारायण की मां का कहना कि हमारा बेटा जन्म से दृष्टिहीन था,  लेकिन उसे मजबूरी नहीं समझा। हम लोगों ने पढ़ाई के लिए जबलपुर भेजा और पढ़ लिखकर हमारा बेटा आज केंद्र की नौकरी कर रहा है अब हमारे बेटे की शादी हो गई हमें बहुत खुशी है। उन्होंने अपनी बहू को भी खूब आशीर्वाद दिया, जिसने उनके बेटे की जिंदगी को संवारा। वहीं, दिशा के इस कदम की समाज के अन्य लोगों ने भी सराहना की है।