इंदौर ।  जिला जेल से पेशी पर लाए गए कैदी को भगाने वाले पुलिस आरक्षक को जिला न्यायालय ने एक वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई। वारदात को अंजाम देने के बाद आरक्षक खुद भी फरार हो गया था। घटना के कुछ दिन बाद वह पुलिस के हाथ लगा। जिस कैदी को उसने भगाया था वह अंत तक हाथ नहीं आया। आरक्षक ने मामले में खुद को बचाने के लिए रजिस्टर में किसी दूसरे आरक्षक का नंबर लिखवा दिया था, लेकिन वह बच नहीं सका। वारदात 11 सितंबर 2009 की है। कैदी को भगाने वाले आरोपित का नाम तुकाराम पुत्र श्रीराम कुमावत निवासी डीआरपी लाइन है। वह आरक्षक था। घटना वाले दिन वह आरोपित मनोज पुत्र बच्चुसिंह को जाफ्ता से निकालकर सत्र न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए लेकर गया था।

तुकाराम का बेज नंबर 234 था लेकिन उसने जाफ्ता के रजिस्टर में आरक्षक भरतसिंह का बेज नंबर 1535 लिखवाया ताकि उस पर शक न हो। तुकाराम मनोज को लेकर जाफ्ता से तो गया लेकिन लौटा नहीं। वह मनोज के साथ फरार हो गया था। पुलिस उसके निवास पर भी पहुंची लेकिन वह वहां भी नहीं मिला। कुछ दिन बाद तुकाराम पुलिस के हाथ लगा। उसने स्वीकारा कि उसने ही मनोज को भगाया था। उसके खिलाफ भादवि की धारा 225ए के तहत प्रकरण दर्ज किया गया। अभियोजन की तरफ से पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी सुनील जाट ने की। न्यायालय ने इस मामले में निर्णय पारित करते हुए आरोपित तुकाराम पुत्र श्रीराम कुमावत को एक वर्ष कठोर कारावास और दो हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया।