किराएदारी के नए नियम में होंगे कई बदलाव
भोपाल । मप्र में किरायेदारों पर किरायेदारी अधिनियम के जरिए सख्ती होगी। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने नए नियमों का प्रारूप तैयार कर लिया है। इसके अनुसार बिना अनुमति उपकिराएदारी पर पाबंदी लग जाएगी। बिना मकान मालिक की जानकारी के दूसरा पार्टनर नहीं रख सकेंगे। अनुबंध के बाद मकान खाली न करने पर चार गुना किराया चुकाना होगा। ए प्रारूप में कारोबारी गतिविधियों के लिए 6 माह का अग्रिम किराया देना होगा। साथ ही मकान मालिक बिना अनुबंध के किराएदार नहीं रख सकेंगे। आवश्यक सेवा बाधित करने पर मकान मालिक के खिलाफ कार्रवाई होगी। किराएदार किराए में बढ़ोतरी से इनकार भी कर सकता है। प्राकृतिक अनहोनी में मकान खाली नहीं होगा। किराएदार की मृत्यु पर उत्तराधिकारी को किराए पर रहने का अधिकार होगा। मकान मालिक को बिना सूचना के प्रवेश करने का अधिकार नहीं रहेगा। किराया प्राधिकारी अधिकारी डिप्टी कलेक्टर रैंक से कम नहीं होगा। मुख्य सचिव अनुराग जैन की सहमति के बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग कैबिनेट में इसका प्रस्ताव रखेगा।
तो लगेगा 4 गुना किराया
शहरी क्षेत्रों में आवास किराये पर लेकर उसमें कारोबार संचालित करना आम बात है लेकिन अब बिना मकान मालिक की अनुमति ऐसा नहीं किया जा सकेगा। यदि कारोबारी गतिविधि संचालित करनी है तो छह माह का किराया अग्रिम देना होगा। अनुबंध के बाद भी मकान खाली नहीं किया तो चार गुना किराया लगेगा। ये शर्ते अधिनियम में लगाई गई हैं। किरायेदार परिसर किसी और को किराये में भी नहीं दे सकेगा। ऐसा पाया जाता है तो इसे अनुबंध का उल्लंघन मानते हुए, कार्रवाई की जाएगी। इसका प्रावधान सरकार द्वारा तैयार किए जा रहे किरायेदारी अधिनिगम के प्रारूप में किया गया है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन सहित अधिकतर नगरीय निकायों में बड़ी संख्या में आवास किराये पर दिए जाते हैं। कई बार मकान मालिक और किरायेदार के बीच किराये, मकान के संधारण और खाली कराने को लेकर विवाद होता है। मामले कोर्ट तक पहुंच जाते हैं। इसे देखते हुए मकान मालिक और किरायेदार के हितों को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार ने मॉडल किरायेदारी अधिनियम का प्रारूप बनाकर सभी राज्यों को अपने-अपने अधिनियम में संशोधन करने के लिए भेजा था। इसमें प्रावधान किया है कि किरायेदार बिना मकान मालिक की सहमति के किसी और को उप किरायेदार नहीं रख सकेगा। यदि दोनों के बीच सहमति बनती है तो उप किरायेदार रखा जा सकता है और इसकी सूचना किराया प्राधिकारी को देनी होगी। किरायेदार अनुबंध समाप्त होने के बाद भी मकान खाली नहीं करता है तो प्रथम दो माह तक दोगुना और इसके बाद चार गुना मासिक किराया देना होगा। आवासीय प्रयोजन के लिए किराये पर मकान लेने के बाद वहां कारोबार करने की अनुमति नहीं रहेगी। यदि ऐसा किया जाता है तो छह माह का किराए अग्रिम देना होगा।