भोपाल ।   राजधानी भोपाल की रहने वाली सिद्धि मिश्रा ने छोटी उम्र में ही बड़ा काम कर दिया है। दो साल की उम्र में सिद्धि मिश्रा अपने मां भावना डेहरिया के साथ माउंट एवरेस्ट के बैस कैंप पहुंच कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। सिद्धि की मां भावना डेहरिया पर्वतारोही हैं। बता दें कि भोपाल बागसेवनिया निवासी दो वर्षीय सिद्धि मिश्रा अभी प्ले स्कूल में पढ़ाई करती है। सिद्धि बर्फीली हवाओं के थपेड़े, माइनस 18 डिग्री तापमान जैसे मुश्किल हालातों में माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप पर पहुंची। भावना डेहरिया ने बताया कि स्कॉटलैंड के दो साल के बच्चे के एवरेस्ट के बेस कैंप पर जाने के बाद उन्होंने अपनी बेटी को बेस कैंप पर ले जाने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि इसके लिए वह अपनी बेटी को सितंबर 2023 में लद्दाख लेकर गई थीं। वहां 17 हजार फीट की ऊंचाई पर उसे कोई दिक्कत नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने नौ मार्च को भोपाल से अपनी यात्रा शुरू की। भावना ने बताया कि उनकी बेटी ने माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप पहुंचने और लौटने तक कभी परेशान नहीं किया। उन्होंने कहा कि शायद इसका कारण उसमें पर्वतारोही मां का खून होना है। बता दें, भावना डेहरिया भी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहरा चुकी हैं।

12 मार्च को एवरेस्ट बेस कैंप की यात्रा की शुरू 

भावना डेहरिया ने बताया कि वह 12 मार्च को काठमांडू स्थित लुक्का पहुंचीं। यहां से दो डिग्री तापमान में फाकडिंग पहुंची। 13 मार्च को फाकडिंग से नामचे बाजार तक ट्रैकिंग की। यहां पर तापमान माइनस 6 डिग्री था। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 3440 मीटर पर है। भावना ने बताया कि अधिक ठंड होने की वजह से समुद्र तल से 3820 मीटर की ऊंचाई पर स्थित डेबोचे में उनको रुकना पड़ा। 

माइनस 18 डिग्री तापमान में जमने लगे हाथ-पैर 

इसके बाद आठवें दिन वह गोरख शेप पहुंचे। उन्होंने बताया कि उनके अगले दिन बेस कैंप पहुंचना था, लेकिन यहां पर मौसम खराब हो गया। तापमान माइनस 18 डिग्री तक पहुंच गया। इसके चलते उनको दो दिन रूकना पड़ा। यहां बर्फबारी हो रही थी। इस बीच एक बार सिद्धि कैंप से बाहर निकली, लेकिन कुछ ही देर में उसके हाथ पैर जमने लगे, उसे तुरंत कैंप के अंदर किया। 

22 मार्च को एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचे 

11 वें दिन 22 मार्च को भावना और उनकी बेटी एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचे, जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 5164 मीटर है। यहां पर वह करीब 20 मिनट रूके। भावना ने बताया कि उनकी दो साल की बेटी को लेकर वह आगे बढ़ रही थी, इस वजह से उसे उन्होंने ज्यादा से ज्यादा गर्म कपड़े पहना रखे थे। ऊंचाई पर सांस लेने में कठिनाई होती है, लेकिन सिद्धि को कोई दिक्कत नहीं हुई।