Shiv Sena MLA Sada Sarvankar on Manohar Joshi on fire: महाराष्ट्र मुंबई से शिवसेना यानी एकनाथ शिंदे गुट के नेता और विधायक सदा सरवणकर ने दावा किया है कि उद्धव ठाकरे और संजय राउत के कहने पर महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी के घर पर हमला किया गया था।


सदा सरवणकर ने दावा किया, ''मुझे उद्धव ठाकरे ने मनोहर जोशी के आवास पर हमला करने के लिए कहा था। जैसे ही मैं अपने कार्यकर्ताओं के साथ निकला मुझे संजय राउत का फोन आया और मुझे पेट्रोल ले जाने और मनोहर जोशी के घर में आग लगाने का निर्देश दिया गया था।''

सदा सरवणकर ने कहा, ''उन्होंने (संजय राउत) मुझसे से कहा था कि पेट्रोल डालो और मनोहर जोशी के घर में आग लगा दो।'' सदा सरवणकर ने कहा कि, ''मुझसे उद्धव ठाकरे ने मनोहर जोशी के आवास पर हमला इसलिए करने को कहा था कि क्योंकि जोशी ने मेरे टिकट का विरोध किया था। मैं उस वक्त विधान सभा के लिए टिकट चाहता था।''

सदा सरवणकर ने यह भी आरोप लगाया कि संजय राउत ने उम्मीदवारी के बदले उनसे 10 करोड़ रुपये की मांग की थी। हालांकि इस पूरे मामले पर फिलहाल संजय राउत और ठाकरे की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

2009 में मनोहर जोशी के आवास पर हुआ था हमला

बता दें कि मुंबई के शिवाजी पार्क इलाके में मनोहर जोशी के आवास पर सितंबर 2009 में राज्य विधानसभा चुनाव से पहले कुछ शिवसेना कार्यकर्ताओं ने हमला किया था। जब सदा सरवणकर को टिकट देने से इनकार कर दिया गया था। बाद में सदा सरवणकर कुछ सालों के बाद शिवसेना में लौटने से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

कोल्हापुर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए सदा सरवणकर ने कहा, ''जब मनोहर जोशी मुख्यमंत्री थे, तो मुझे विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दिया गया था। जब मैंने जोशी से इसके बारे में पूछा, तो उन्होंने मुझे 'मातोश्री' (ठाकरे परिवार का निवास) जाने और टिकट मांगने के लिए कहा। जब मैं मातोश्री गया तो मुझे बताया गया कि मनोहर जोशी ने मेरा टिकट काटा है। उद्धव ठाकरे के करीबी मिलिंद नार्वेकर ने मुझसे कहा कि आपको जोशी के घर पर हमला करना चाहिए। इसी बीच मुझे संजय राऊत का फोन आया, जिन्होंने मुझसे जोशी के घर में पेट्रोल डालकर आग लगाने को कहा। हमने मातोश्री के आदेश का पालन किया और जोशी के घर पर हमला किया।''

सदा सरवणकर ने आगे कहा, ''चूंकि मैं टिकट के लिए 10 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं कर सका, इसलिए पार्टी के दूसरे नेता आदेश बांदेकर को टिकट देने के सभी कोशिश किए गए। बाला साहब के रहते ऐसी हरकतें कभी नहीं हुईं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के बाद उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य को बड़ा नेता बनाना चाहते थे। यही वह समय था जब ठाकरे ने समय भी नहीं दिया और अपने विधायकों की तरफ देखा तक नहीं...इसीलिए शिवसैनिकों ने एकनाथ शिंदे और उनके नेतृत्व का समर्थन किया।''