मुंबई । वीडियो स्ट्रीमिंग यूट्यूब भी अब ऑनलाइन कंटेंट में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिये छेड़छाड़ रोकने के उपाय करने वाले इंटरनेट प्लेटफॉर्मों में शामिल हो गया है। इससे पहले उसकी मूल कंपनी गूगल और मेटा ने ऐसी कवायद की है। प्लेटफॉर्म ने एक नया टूल पेश किया गया है जिसके लिए अब क्रियेटरों को उपयोगकर्ताओं को यह बताना होगा कि उनकी सामग्री सिंथेटिक मीडिया या जेनरेटिव एआई का सहारा लेकर तैयार की गई है या नहीं। यूट्यूब ने एक ब्लॉगपोस्ट में कहा है ‎कि हम क्रियेटर स्टूडियो में नया टूल लाने जा रहे हैं जिसके तहत अब क्रियेटरों के लिए दर्शकों को यह बताना जरूरी होगा कि वह जो सामग्री पोस्ट कर रहे हैं वह सिंथेटिक मीडिया अथवा एआई के सहारे बनाई गई है। इसमें वैसी सामग्री शामिल होंगी जिसे कोई भी दर्शक आसानी से असली व्यक्ति, स्थान, दृश्य अथवा घटना समझ सकता है। कंपनी ने कहा कि लागू होने पर वीडियो के साथ छेड़छाड़ अथवा सिंथेटिक मीडिया लिखा आएगा। हालांकि, क्रियेटरों को प्लेटफॉर्म पर पूरी तरह से अवास्तविक सामग्री, एनिमिटेड वीडियो, स्पेशल इफेक्ट्स वाले वीडियो पर ऐसी जानकारी देनी की जरूरत नहीं होगी। यूट्यूब ने कहा ‎कि हम मानते हैं कि क्रियेटर किसी भी सामग्री को तैयार करने के दौरान विभिन्न तरीकों से जेनरेटिव एआई का उपयोग करते हैं। यदि जेनेरेटिव एआई का उपयोग स्क्रिप्ट, सामग्री विचार अथवा कैप्शन आदि तैयार करने के लिए किया गया है तो क्रियेटरों को यह बताने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा स्वास्थ्य, समाचार, चुनाव या वित्तीय जैसे संवेदनशील विषयों वाले वीडियो के लिए यूट्यूब वीडियो पर एक प्रमुख लेबल दिखाएगा।