-सतधारा स्तूप के पास 5 एकड़ क्षेत्र में बनाया गया है ईको जंगल केंप

सलामतपुर रायसेन से अदनान खान की विशेष रिपोर्ट

अगर आपको सरकारी राशि का अधिकारी किस तरह दुरूपयोग करते हैं उसका जीता जागता उदाहरण देखना है तो सतधारा ईको जंगल केंप में जा सकते हैं। यहां 56 लाख रुपए की लागत से 5 एकड़ क्षेत्र में वन विभाग के ईको पर्यटन विकास निगम द्वारा ईको जंगल केंप का लगभग डेढ़ वर्ष पहले निर्माण किया गया था। जिसका लोकापर्ण 26 अगस्त 2020 को वन मंत्री डॉ विजय शाह द्वारा किया गया था। दअरसल वन विभाग के ईको पर्यटन विकास निगम ने ईको जंगल केंप को तैयार करने के बाद टेंडर के ज़रिए प्रायवेट तौर पर ठेके देने का सोचा था। लेकिन इसकी कीमत 6 लाख रुपए वार्षिक रखी गई थी। कीमत ज़्यादा होने के चलते किसी भी व्यक्ति ने इसको लेने में दिलचस्पी नही दिखाई जिसकी वजह से यह ईको जंगल केंप पिछले डेढ़ वर्ष से पर्यटकों के इंतज़ार में वीरान पड़ा हुआ है। यहां पर वन विभाग ने एक नाकेदार और एक चौकीदार की ड्यूटी लगा रखी है।

ईको जंगल कैम्प में पर्यटकों के लिए रहने, एडवेंडचर्स सहित अन्य सुविधाएं जुटाई गईं थी--
रायसेन जिले के सलामतपुर के पास स्तिथ बौद्ध स्मारक सतधारा में वन मंत्री डॉ कुंवर विजय शाह द्वारा 26 अगस्त 2020 को फीता काटकर सतधारा ईको जंगल कैम्प का शुभारंभ किया गया था। उस दौरान वन मंत्री डॉ शाह ने कहा था कि प्रदेश में ईको-पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इको जंगल कैम्प के माध्यम से पर्यटक प्रकृति से जुड़ सकेंगे। साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। और उन्होंने कहा था कि ईको जंगल कैम्प में पर्यटकों के लिए रहने, एडवेंडचर्स सहित सभी आवश्यक व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई गई है। यहां आकर बच्चों, नागरिकों को जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण को जानने और समझने का मौका मिलेगा। इससे वनों के संरक्षण के प्रयासों में भी सहायता मिलेगी। ईको जंगल कैम्प में ओपन जिम, वाच टावर, पैगोडा, कॉमन डायनिंग एरिया, कैंपिंग चबूतरा आदि का निर्माण कराया गया था। वहीं सतधारा में ईको जंगल कैम्प का शुभारंभ करने के पश्चात वन मंत्री डॉ शाह ने बैलगाड़ी में बैठने, रस्सी पर चलने, तीरंदाजी, गेड़ी, बॉस्केटबाल तथा क्रिकेट का आनंद भी लिया था। इस दौरान प्रमुख सचिव वन विभाग अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला, वहीं रायसेन के कलेक्टर, रायसेन एसपी तथा डीएफओ ने पौधरोपण भी किया था।

56 लाख रूपए की लागत से बनाया गया है ईको जंगल कैम्प--
सतधारा स्तूप क्षेत्र में डेढ़ किलोमीटर दूर हलाली नदी बेसिन से 600 मीटर दाएं किनारे मिश्रित वनों से घिरे 5 एकड़ पहाड़ी क्षेत्र पर मप्र ईको पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा 56 लाख रूपए की लागत से ईको जंगल कैम्प का निर्माण कराया गया है। यहां तीन हैक्टेयर क्षेत्र को चैनलिंक जाली से फैंस कर पर्यटकों को प्राकृतिक वातावरण में रहने के उद्देश्य से केंपिंग प्लेटफार्म का निर्माण किया गया था। जिसमें पोर्टबल टेंट लगाकर पर्यटक रह सकते हैं तथा प्रकृति का आनंद भी ले सकेंगे। इस उद्देश्य से इसका निर्माण कराया गया था। लेकिन अब यह क्षेत्र पर्यटकों के इंतेज़ार में वीरान पड़ा हुआ है।

टेंडर की ज़्यादा कीमत होने के चलते नही ली किसी ने रुचि-- वन विभाग के ईको पर्यटन विकास निगम द्वारा सतधारा ईको जंगल कैम्प को तैयार करने के बाद ठेके पर देने का प्रयास किया गया था। लेकिन इसकी वार्षिक कीमत निगम ने लगभग 6 लाख रुपए निर्धारित की थी। तीन से चार लोगों ने इसकी वार्षिक कीमत दो से ढाई लाख रुपए लगाई। उसके बाद से किसी भी संस्था या प्रायवेट कंपनी ने ईको जंगल कैम्प को लेने का प्रयास नही किया।जिसकी वजह से 56 लाख रुपए की लागत से तैयार सतधारा ईको जंगल कैम्प पर्यटकों के इंतज़ार में वीरान पड़ा हुआ है।

जंगल कैम्प के पास ही स्तिथ हैं सतधारा बौद्ध स्तूप--
सलामतपुर के पास पुरातत्व महत्व के सतधारा स्तूप भी मौजूद हैं। हलाली नदी के दाएं किनारे पहाड़ी पर स्थित बौद्ध स्मारक सताधारा की खोज ए कन्धिम ने की थी। मौर्य सम्राट अशोक (268-232 ईसा पूर्व) ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए स्तूप का निर्माण कराया था। इस स्थल पर छोटे-बड़े कुल 27 स्तूप, दो बौद्ध बिहार तथा एक चैत्य है। वर्ष 1989 में इस स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया।

इनका कहना है।
सतधारा ईको जंगल कैम्प को 6 लाख रुपए की वार्षिक दर पर टेंडर के ज़रिए ठेके पर देने का सोचा गया था। लेकिन इसकी कीमत किसी भी व्यक्ति ने दो ढाई लाख रुपए से ज़्यादा नही लगाई। जिसकी वजह से यह 56 लाख रुपए लागत का ईको जंगल  कैम्प पर्यटकों के लिए बंद पड़ा हुआ है। यहां सुरक्षा की दृष्टि से 1 नाकेदार और 1 चौकीदार की ड्यूटी लगाई गई है।
लल्लन सिंह, डिप्टी रेंजर वन विभाग सलामतपुर।

वन विभाग के ईको पर्यटन विकास निगम ने पिछले साल बड़े ही धूमधाम से सतधारा ईको जंगल कैम्प का लोकापर्ण वन मंत्री डॉ विजय शाह द्वारा करवाकर इसकी शुरुआत की थी। लेकिन अब यह जगह पर्यटकों के इंतज़ार में वीरान पड़ी हुई है। कोई भी वन विभाग का अधिकारी इस और ध्यान नही दे रहा है। 
साजिद खान रानू, समाजसेवी सलामतपुर।

न्यूज़ सोर्स : अदनान खान सलामतपुर